बन गए हम अकेले सब कुछ

बन गए हम अकेले सब कुछ

 *प्रश्न* - सत् करतार से साक्षात्कार का स्वरूप क्या है ? 

 *उत्तर* - सब कुछ सत् करतार हैं - यह एक दम सत् करतार से साक्षात्कार है ! यह सत् करतार के साक्षात् दर्शन से भी ऊँची बात है । दर्शन का आनन्द तो दर्शन के समय ही रहता है, दूसरे समय नहीं रहता । परन्तु सब कुछ सत् करतार हैं - इसका आनन्द कभी मिटता ही नहीं । मिट सकता ही नहीं ! दर्शन हर समय नहीं होते, पर '*सत् सर्वम* कब नहीं होता ? वह तो हर समय रहता है !!!