मनुष्य जन्म बस कुछ छन पानी का बुलबुला है। फिर मिट जाना है। कोई जतन करो मनुष्य जन्म सफल करने का। यह दुर्लभ मनुष्य जन्म फिर बार-बार नहीं मिलने का है। सिर्फ कुछ पल का समय अवसर मिला है। संसार की मनगढ़ कल्पना को त्यागो। संत वचन को मानो । यथार्थ में सत्संग करो तभी मनुष्य जीव जन्म का निस्तार होगा। इस जीव का एक परमात्मा ही सगा है। और सब संसार सकल झूठ है। अगर जीव चेतन नहीं किया। मालिक से मिलने का अभ्यास नहीं किया। अब अवसर चूक गए तो फिर लाख चौरासी योनि में जा पड़ेंगे। कहीं जन्म गए कहीं मर गए। जन्म जन्म पछताएंगे। क्योंकि जीव का अंत नहीं। शरीर का अंत है। शरीर की आयु है। जीव की कोई आयु नहीं है।