क्योंकि हमें आत्मा का स्मरण नही है । हम विस्मरण में हैं । जैसे ही आत्मा का बोध होगा अहंकार नही रहेगा । आत्मा का बोध जभी होगा जब मन और शरीर से परे हुए !
जैसे ही मैं गया, अहंकार भी गया, अहंकार कुछ है नही जिससे छूटना है, सिर्फ जाग कर देखना है । गौर से देखने से पता चलेगा जो वही आत्मा है जो नही है वह अहंकार है । -
मन भाई जाग घने दिन सूता । सोवत है ताकौ सोवन दे । सतनाम सुमर लै तू तौ ।