हमारी संपूर्ण रचना के मालिक एक है, वह जैसे है उनको ठीक वैसा ही मानना जानना और विश्वाश करना ही भगत मार्ग पर चलना है !!
निर्वाण ज्ञान में कहीं है __भगत मार्ग समझ भाई सत के गुण गाओ, मालिक को जानने, मानने और विश्वाश करना ही भगत मार्ग को समझना है!
यह समझने के बाद उस मालिक के गुण गाने के अलावा, करने को कुछ शेष नहीं बचता,संपूर्ण रचना में सत्ता केवल एक सत की है !!