कर्म को तो तुम पूरा करो

कर्म को तो तुम पूरा करो और कर्म के फल को तुम मालिक पर छोड़ दो  फिर देखो तुम्हारे जीवन में कैसे आनंद के फूल खिलते हैं।

फिर तुम देखोगे कि तुम्हारे जीवन में एक विनम्रता है, एक अहोभाव है। जो भी मिलता है, वह प्रसाद है; और जो भी नहीं मिलता, वह भी प्रसाद है

जो व्यक्ति मालिक पर सारे फल छोड़ देता है उसके जीवन में चिंता नहीं हो सकती।

लोग क्या कहेंगे यह बात हमारी आत्मा बन गयी है। और बड़े मजे की बात है तुम जिनसे डरते हो कि  लोग क्या कहेंगे, वह तुमसे डरते है कि यह लोग क्या कहेंगे। सभी एक दूसरे से डर रहे है और जीवन गवा रहे है।