मैं सत् करतार का हूँ - यह चिन्तन करने की बात नहीं है, प्रत्युत मानने की बात है । दो और दो चार ही होते हैं, इसमें चिन्तन करने की क्या बात है ?
साधक - संजीवनी
साधक में सीधा, सरल भाव होना चाहिये । सीधा, सरल होने के कारण लोग उसको मूर्ख, बेसमझ कह सकते हैं, पर उससे साधक को कोई हानि नहीं है । अपने उद्धार के लिये तो सरलता बड़े काम की चीज है ।