एक भाई पूछ रहे हैं की साध कौन है, और संसारी कौन है?... देखो भाई जिसके जीवन में से सांसारिक आवश्यकताऐ समाप्त हो गई, और अपने मालिक के शरण हो गया, उनका सहारा पकड़ लिया उनके अधीन होकर संसार में रहता है, वही साध, साधु, संत, महात्मा, सन्यासी है।... तथा जिसके जीवन में सांसारिक आवश्यकताऐ, कामनाएं, वासनाएं, चाहनाये, दिन, प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, तथा अहंकार के वशीभूत हो वही संसारी है...