सबसे पहिले इस बात का ध्यान रखें हम इस संसार में क्यों आए ? मालिक ने साध सतनामी में जन्म क्यों दिया ?
हमे याद रखना होगा इस संसार में पता नही कितने जन्मों के चक्कर के बाद अवसर मिला सिर्फ बंदगी करने के लिए ताकि हम इस आवागमन से मुक्ती पा सकें इसलिए भाई हमारे अंदर जो ब्रह्म बैठा है उस पर गौर करो कयोंकि मालिक ने बंदगी करने के लिए ही ब्रह्म बनाया न की इस शरीर द्वारा संसार भोगने के लिए शरीर के द्वारा ही भक्ति होगी!!
भक्ति का एक मार्ग और भी है मालिक के बनाए प्राणी जीव जंतु सबसे प्यार करो किसी से वैर न रखो किसी के लिए दिल में दूखन हो तो अपनी बात कह कर बात खत्म करो पेट में रखने से मैल बढ़ता है खत्म करने से साफ़ रहता है अगर पेट में किसी के लिए द्वेष भाव है, किसी को बड़ा न मानते तो वह अहंकार है और अगर यह सब है तो सोचो क्या कभी मालिक मिल पाएंगे कितना भी नाम ले लो,
कितने भी सत्संग कर लो, मालिक के मिलने का एक ही रास्ता है उनके बनाए प्राणी से प्यार करो तभी मालिक से प्यार हो पाएगा किसी से नफरत मत करों फिर देखो उनके नाम में कितना आंनद आता है !!
साध तो सत शब्द से भेदी झूठ से नही काम !!