काम क्रोध पातक होई। इनको त्याग करत है कोई

💥🪷🪷🪷 सतनाम🪷🪷🪷💥 प्रश्न... काम क्रोध पातक होई। इनको त्याग करत है कोई।। ज्ञान सागर की इस लगमात में एक बेटी ने पूछा है... की काम किसे कहते हैं?????.... देखो जी,  परिवार के उत्थान के लिए निस्वार्थ भाव से क्रिया होती है, दूसरी समाज के उत्थान के लिए निस्वार्थ भाव से क्रिया होती है, तीसरी देश के उत्थान के लिए निस्वार्थ भाव से क्रिया होती है, सामान्य भाषा में इसी क्रिया को कार्य अथवा काम कहते हैं, जबकि यह काम नहीं है, यह सेवा है, इसको करने से हमारा स्वयं का उत्थान होता है, क्योंकि इसमें प्रत्येक क्रिया निस्वार्थ भाव से दूसरों को सुख पहुंचाने के लिए की जाती है, इसमें करने वाले का लेश मात्र भी अपने सुख का भाव नहीं रहता है, और इसी को कर्मयोग कहते हैं, निस्वार्थ भाव से किया गया प्रत्येक कार्य हमको यानी स्वयं को, यानी आत्मा को, शुद्ध बनता है, क्योंकि यह कर्तव्य विज्ञान है, इस कर्तव्य विज्ञान के आधार पर किया गया प्रत्येक कार्य, प्रत्येक काम वह मालिक के लिए ही होता है, जो हमें किसी भी कर्मफंद में नहीं बांधता है, बल्कि हमें शुद्ध ही करता है। और ऐसी शुद्ध आत्मा को मालिक अपनी भक्ति दे देते हैं,... लेकिन स्वयं के भले के लिए स्वयं के सुख के लिए की गई प्रत्येक क्रिया काम है, वही हमको बांधने वाली होती है, यदि उन क्रियाओ के द्वारा हमको सुख नहीं मिलता है, या हमारी मनचाही नहीं होती है, तो हमें उसमें क्रोध आता है, इसी काम और क्रोध के त्याग लिए ज्ञान सागर में यह लगमात आई है, पातक का अर्थ यह दोनों हमें बांधने वाले है, जन्म मरण में फंसने वाले हैं। इसीलिए हम सबको अपने सुख के लिए प्रत्येक काम का त्याग करना है, तभी हमें मालिक का सच्चा ज्ञान व नाम मिलता है, बाकी सही अर्थ साध जाने या मालिक जाने....