जो जान लेता हूं मैं कौन हूं

*जब* *तक* " *मैं* " *का* *भाव* *है* *तब* *तक* *वह* *नही* *उतर* *पाएगा*

जो जान लेता हूं मैं कौन हूं, उसकी मृत्यु कभी नहीं आती क्योंकी देह मरती है आत्मा कभी नही मरती,आत्मज्ञान अमृत का द्वार है, बाहर की खोज अंहकार को भर्ती है __ 

जैसे ही भीतर जाओगे, उतने अकेले होने लगोगे, अड़चने आएंगी, अंहकार की फांसी लगने लगेगी, बाहर की चीजे टूटेंगी!!