एक एक कदम मौत आगे बढ़ रही है

एक एक कदम मौत आगे बढ़ रही है  एक एक साँस खर्च हो रही है,हम रोज किसी न किसी की अर्थी उठते देखते हैं ,फिर भी भूले बैठे हैं कि हमारा नंबर भी आ ही रहा है, जिस काम के लिए मनुष्य जन्म पाया वह काम तो हमने किया ही नही जो साथ जाएगा वो तो कमाया ही नही कभी उस रूह के बारे में सोचा जो परमात्मा से बिछड़ी है जन्मो जन्मो से इस जामे से उस जामे भटक रही अब अगर मौका मिला है सद्गुरु का साथ मिला है क्यों न वो काम भी कर ले, सिर्फ भजन सिमरन ही तो ऐड करना है नौकरी करते रहो बिज़नस करते रहो स्कूल कॉलेज जाते रहो घर गृहस्थी सँभालते रहो उठते बैठते उस मालिक को याद करना है। मालिक को अपना मानना ही तो है कि वोह सदा हमारे पास हमारे साथ है !!