सुख और दुःख

सुख और दुःख

सुख और दुःख का अनुभव शरीर को होता है आत्मा को नही!!

ज्ञान कुछ नही कहता केवल तुम्हे तुम्हारे शरीर के स्तर से उठाकर आत्मा के स्तर पर पहुंचा देता है और हम सुख दुःख के बंधन से मुक्त हो जाते है!!
याद रखें कोई भी यात्रा एक कदम आगे बढ़ाने से शुरू होती है , बस शुरू करने भर की देरी है !!
पवित्र मन ही जीवन का सबसे उत्तम तीर्थ हैं!!
मुनासिब हो वही देना प्रभु मेरा क्या है मैं तो कुछ भी मांगता रहता हूं!!*