"रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं"लेकिन मुस्कुराने से पराये भी अपने हो जाते हैं!मुझे वो रिश्ते पसंद है जिनमें मैं नहीं हम"हो!इंसानियत दिल में होती है,हैसियत में नही,उपरवाला कर्म देखता है,वसीयत नही!घमंड और पेट जब ये दोनों बढतें हैं!तब इन्सान चाह कर भी किसी को गले नहीं लगा सकता जिस प्रकार नींबू के रस की एक बूँद हज़ारों लीटर दूध को बर्बाद कर देती है!उसी प्रकार मनुष्य का अहंकार भी अच्छे से अच्छे संबंधों को बर्बाद कर देता है!