*राबिया बसरी एक महशूर फ़क़ीर हुई है! जवानी में वह बहुत खूबसूरत थी।*
*एक बार चोर उसे उठाकर*
*ले गए और एक वेश्या के कोठे पर ले जाकर उसे बेच दिया।*
*अब उसे वही कार्य करना था*
*जो वहाँ की बाक़ी औरते*
*करती थी।*
*इस नए घर में पहली रात को उसके पास एक आदमी लाया गया।उसने फौरन बातचीत शुरू कर दी।*
*"आप जैसे भले आदमी को देखकर मेरा दिल बहुत खुश है " वह बोली।"*
*आप सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ जायें , मैं थोड़ी देर परमात्मा की याद में बैठ लूँ।*
*अगर आप चाहें तो आप भी परमात्मा की याद में*
*बैठ जाएँ।*
*यह सुनकर उस नवजवान की हैरानी की कोई हद न रही। वह भी राबिया के साथ ज़मीन पर बैठ गया।*
*फिर राबिया उठी और बोली* *मुझे विश्वास है कि अगर मैं* *आपको याद दिला दूँ कि*
*एक दिन हम सबको मरना है तो आप बुरा नहीं मानोगें।*
*आप यह भी भली भाँति समझ लें की जो गुनाह करने की आपके मन में चाह है , वह आपको नर्क की आग में धकेल देगा।*
*आप खुद ही फैसला कर* *लें*
*कि आप यह गुनाह करके नर्क की आग आग में कूदना चाहते हैं, या इससे बचना चाहते हैं?*
*यह सुनकर नवजवान हक्का बक्का रह गया।उसने संभलकर कहा,*
*ऐ नेक और पाक औरत!*
*तुमने मेरी आँखे खोल दी,*
*जो अभी तक गुनाह के भयंकर नतीजे की और बंद थी मै वादा करता हूँ कि फिर कभी कोठे की तरफ कदम नही बढ़ाऊंगा।*
*हर रोज नए आदमी राबिया के पास भेजे जाते।पहले दिन आये नवजवान की तरह उन सबकी जिंदगी भी पलटती गयी।*
*उस कोठे के मालिक को बहुत हैरानी हुई की इतनी खूबसूरत और नवजवान औरत है और एक बार आया ग्राहक दोबारा उसके पास जाने के लिए नही आता।*
*जबकि लोग ऐसी सुन्दर लड़की इए दीवाने होकर उसके इर्दगिर्द ऐसे घूमते है जैसे परवाने शमा के इर्दगिर्द।*
*यह राज जानने के लिए उसने एक रात अपनी बीवी को ऐसी जगह छुपाकर बिठा दिया, जहां से वह राबिया के कमरे के अंदर सब कुछ देख सकती थी।*
*वह यह जानना चाहता था की जब कोई आदमी राबिया के पास भेजा जाता है तो वह उसके साथ कैसे पेश आती है?*
*उस रात उसने देखा कि*
*जैसे हीं ग्राहक ने अंदर कदम रखा, राबिया उठकर* *खड़ी हो गई और बोली,आओ भले आदमी, आपका स्वागत है।*
*पाप के इस घर में मुझे हमेशा याद रहता है की परमात्मा हर जगह मौजूद है।*
*वह सब कुछ देखता है*
*और जो चाहे कर सकता है।आपका इस बारे में*
*क्या ख्याल है ?*
*यह सुनकर वह आदमी*
*हक्का बक्का रह गया*
*और उसे कुछ समझ न आया कि क्या करे ?*
*आखिर वह कुछ हिचकिचाते हुए बोला, हाँ पंडित और मौलवी कुछ ऐसा ही कहते हैं।*
*राबिया कहती गई, 'यहाँ गुनाहों से घिरे इस घर में, मैं कभी नही भूलती कि ख़ुदा सब गुनाह देखता है और पूरा न्याय भी करता है।*
*वह हर इंसान को उसके गुनाहो की सजा देता है। जो लोग यहाँ आकर गुनाह करते है, उसकी सजा पाते हैं।*
*उन्हें अनगिनत दुःख और मुसीबत झेलनी पड़ती है।*
*मेरे भाई, हमें मनुष्य जन्म मिला है, भजन, बंदगी करने के लिए दुनिया के दुखों से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिये, ख़ुदा से मुलाकात करने के लिए, न की जानवरों से भी बदतर बनकर उसे बर्बाद करने के लिए।*
*पहले आये लोगों की तरह इस आदमी को भी राबिया की बातों में छुपी सच्चाई का अहसास हो गया।*
*उसे जिंदगी में पहली बार महसूस हुआ की वह कितने घोर पाप करता रहा है और आज फिर करने जा रहा था।वह फूटफूट कर रोने लगा और राबिया के पाव पर गिरकर माफ़ी मांगने लगा।*
*राबिया के शब्द इतने सहज, निष्कपट और दिल को छूलेने वाले थे कि उस कोठे के मालिक की पत्नी भी बाहर आकर अपने पापो का पश्चाताप करने लगी।*
*फिर उसने कहा ऐ नेक पाक लड़की, तुम तो वास्तव में फ़क़ीर हो।हमने कितना बड़ा गुनाह तुम पर लादना चाहा।*
*इसी वक्त इस पाप की दलदल से बहार निकल जाओ।इस घटना ने उसकी अपनी जिंदगी को भी एक नया मोड़ दे दिया और उसने पाप की कमाई हमेशा के लिए छोड़ दी।*
*कुल मलिक के सच्चे भक्त जहां कहीं भी हों, जिस हालात में हो, वे हमेशा मनुष्य जन्म के असली उद्देश्य की ओर इशारा करते हैं और भूले भटके जीवों को नेकी की राह पर चलने की प्रेरणा देते हैं।*
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