🍃 *घर के अंदर जी भर के रो लो* *पर दरवाज़ा हँस कर ही खोलो....!!*
*क्योंकि लोगों को यदि पता लग गया कि तुम अंदर से टूट चुके हो तो वो तुम्हें लूट लेंगे*
🍃 *एक मंदीर के दरवाजे पर बहुत अच्छी लाइन लिखी थी ...*
*" जूते " के साथ - साथ, अपनी गलत " सोच* " *भी बाहर उतार के आइए ...💞💞💞💞💞💞*
🍃 *इंसान* कभी *गलत* नहीं होता, उसका *वक़्त* गलत होता है मगर लोग इंसान को *गलत* कहेते हे जैसे के..............
*पतंग* कभी नहीं *कटती, कटता* तो *धागा* हे फिर भी लोग कहेते हे *पतंग* कटी"..!🍃✍🏻