All MIGHTY " GOD " is not a word....*
*Not merely a Relationship.*
It is a *silent promise*by " HIM" which says..
*I was.. I am.. & I will be.. with you & for you forever..*एक दर्ष्टान्त " एक राजा ने एक बार नगर की यात्रा करते हुए एक संत को देखा की वह बहुत खुश नजर आ रहा था , राजा ने वजीर से कहा यदि यह व्यक्ति हमेशा खुश रहता है तो इसे दरबार में ले चलो , इसको दरबार में रखेंगे । तब राजा का वजीर उसके पास गया और कहा की चलो राजा ने तुम्हे दरबार में रहने के लिए कहा है उस संत ने मना कर दिया । बार बार कहने पर भी वह नही माना । तब राजा उसके पास गया और पुछा तुम दरबार में क्यों नही रहना चाहते । तब उस संत ने कहा हे राजन मेरी तीन (3) सर्ते है तुम पुरी करने का वचन दो तो हम तुम्हारे साथ राज दरबार में रह सकते हैं तब राजा ने कहा क्या सर्ते है षोलो , संत बोला 1- मैं जो भी मांगूगा वो सब मुझे दोगे पर अहसान नही दिखाओगे, राजा ठीक है 2 - जब मैं सोऊगां तब तुम मेरा पहरा दोगे, राजा ने सोचा चार या पांच घन्टे सोएगा दे दुगां पहरा , बोला ठीक है 3- जहाँ भी मैं जाऊँगा तुम मेरे साथ चलोगे । इतनी सुनते ही राजा गुस्से से लाल हो गया और कहने लगा तुम यह सब कह रहे क्या ये सब तुम्हारे पास है जो तुम मुझसे माँग रहे हो । तब संत ने विनम्रता से कहा हे राजन यह सब मेरे को " मालिक दाता जी मुझे दे रहे हैं 1 दाता जी मुझे सबकुछ देते हैं कभी अहसान नहीं दिखाते " 2 जब मै सोता हूँ मेरी रक्षा आप जोगी गोरख जी करते हैं 3 संसार में मैं कही भी चला जाऊँ मेरे मालिक हमेशा मेरे साथ होते हैं " म्हारे सिर उपर करतार " । कहते हैं तभी से राजा ने बादशाही छोड़कर मालिक की शरण में आ गया । " हमें सबसे बड़े उपकारी दाता जी से उनकी शरण में रहने की अरदास करनी चाहिए । सत्तगरू दरसे पढ से कुम्भा साध सतगुरू शरणो राखियो सदा ।
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