एक किसान के घर एक दिन उसका कोई परिचित मिलने आया। उस समय वह घर पर नहीं था। उसकी पत्नी ने कहा-'वह खेत पर गए हैं। मैं बच्चे को बुलाने के लिए भेजती हूं। तब तक आप इंतजार करें।' कुछ ही देर में किसान खेत से अपने घर आ पहुंचा। उसके साथ-साथ उसका पालतू कुत्ता भी आया। कुत्ता जोरों से हांफ रहा था। उसकी यह हालत देख, मिलने आए व्यक्ति ने किसान से पूछा-'क्या तुम्हारा खेत बहुत दूर है?' किसान ने कहा-'नहीं, पास ही है। लेकिन आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?' उस व्यक्ति ने कहा-'मुझे यह देखकर आश्चर्य हो रहा है कि तुम और तुम्हारा कुत्ता दोनों साथ-साथ आए, लेकिन तुम्हारे चेहरे पर रंच मात्र थकान नहीं जबकि कुत्ता बुरी तरह से हांफ रहा है।' किसान ने कहा-'मैं और कुत्ता एक ही रास्ते से घर आए हैं। मेरा खेत भी कोई खास दूर नहीं है। मैं थका नहीं हूं। मेरा कुत्ता थक गया है। इसका कारण यह है कि मैं सीधे रास्ते से चलकर घर आया हूं, मगर कुत्ता अपनी आदत से मजबूर है। वह आसपास दूसरे कुत्ते देखकर उनको भगाने के लिए उसके पीछे दौड़ता था और भौंकता हुआ वापस मेरे पास आ जाता था। फिर जैसे ही उसे और कोई कुत्ता नजर आता, वह उसके पीछे दौड़ने लगता। अपनी आदत के अनुसार उसका यह क्रम रास्ते भर जारी रहा। इसलिए वह थक गया है।'
देखा जाए तो यही स्थिति आज के इंसान की भी है। जीवन के लक्ष्य तक पहुंचना यूं तो कठिन नहीं है, लेकिन लोभ,मोह अहंकार और ईर्ष्या जीव को उसके जीवन की सीधी और सरल राह से भटका रही है। अपनी क्षमता के अनुसार जिसके पास जितना है, उससे वह संतुष्ट नहीं। आज लखपति, कल करोड़पति, फिर अरबपति बनने की चाह में उलझकर इंसान दौड़ रहा है। अनेक लोग ऐसे हैं जिनके पास सब कुछ है। भरा-पूरा परिवार, कोठी, बंगला, एक से एक बढ़िया कारें, क्या कुछ नहीं है। फिर भी उनमें बहुत से दुखी रहते हैं। बड़ा आदमी बनना, धनवान बनना बुरी बात नहीं, बनना चाहिए। यह हसरत सबकी रहती है। उसके लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी तो थकान नहीं होगी। लेकिन दूसरों के सामने खुद को बड़ा दिखाने की चाह के चलते आदमी राह से भटक रहा है और यह भटकाव ही इंसान को थका रहा है। यह लक्ष्य प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है। जीवन के सही लक्ष्य को पाने को मिली ऊर्जा को आज का इंसान बर्बाद करता जा रहा है। मोह,लोभ, अहंकार और ईर्ष्या से बचकर लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में सीधे-सीधे आगे बढ़ते रहे तो फिर एक दिन उसे मंजिल मिल ही जाएगी। लेकिन इनके चक्कर में पड़ेगा तो वह थक ही जाएगा।..
देखा जाए तो यही स्थिति आज के इंसान की भी है। जीवन के लक्ष्य तक पहुंचना यूं तो कठिन नहीं है, लेकिन लोभ,मोह अहंकार और ईर्ष्या जीव को उसके जीवन की सीधी और सरल राह से भटका रही है। अपनी क्षमता के अनुसार जिसके पास जितना है, उससे वह संतुष्ट नहीं। आज लखपति, कल करोड़पति, फिर अरबपति बनने की चाह में उलझकर इंसान दौड़ रहा है। अनेक लोग ऐसे हैं जिनके पास सब कुछ है। भरा-पूरा परिवार, कोठी, बंगला, एक से एक बढ़िया कारें, क्या कुछ नहीं है। फिर भी उनमें बहुत से दुखी रहते हैं। बड़ा आदमी बनना, धनवान बनना बुरी बात नहीं, बनना चाहिए। यह हसरत सबकी रहती है। उसके लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी तो थकान नहीं होगी। लेकिन दूसरों के सामने खुद को बड़ा दिखाने की चाह के चलते आदमी राह से भटक रहा है और यह भटकाव ही इंसान को थका रहा है। यह लक्ष्य प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है। जीवन के सही लक्ष्य को पाने को मिली ऊर्जा को आज का इंसान बर्बाद करता जा रहा है। मोह,लोभ, अहंकार और ईर्ष्या से बचकर लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में सीधे-सीधे आगे बढ़ते रहे तो फिर एक दिन उसे मंजिल मिल ही जाएगी। लेकिन इनके चक्कर में पड़ेगा तो वह थक ही जाएगा।..