हम यदि शरीर से जुड़े हुये है तो मन के मुताबिक़ चलेंगे यदि द्रष्टा भाव से शरीर और आत्मा को अलग कर देखने की जुगत मालिक से माँग लेंगे तो मन हमारे हिसाब से चलेगा और मालिक मन को समझाने की चेतना दे देंगे
मन समझाए मिटै मबासा ।उनै निबाजै ............. ।।
मन को बहुत प्रेम से समझाए सन्तों ने मन को भइया राजा कह कर समझाया है और मन को यहाँ तक कहा -"। समझ मन आद शबद की ओ बानी ।
जब मन को समझ मे आ जाती है तो बन्दगी बहुत सरल ब आसान है
मन समझाए मिटै मबासा ।उनै निबाजै ............. ।।
मन को बहुत प्रेम से समझाए सन्तों ने मन को भइया राजा कह कर समझाया है और मन को यहाँ तक कहा -"। समझ मन आद शबद की ओ बानी ।
जब मन को समझ मे आ जाती है तो बन्दगी बहुत सरल ब आसान है