क्रोध मनुष्य का एक खतरनाक अवगुण है



                                                                         क्रोध
क्रोध मनुष्य का एक खतरनाक अवगुण है। क्रोध वह कीडा है जो सूक्ष्म रूप से इंसान के अंदर घुसता है और यदि कंट्रोल ना किया जाये तो विकराल रूप धारण कर लेता है और विनाश के रास्ते पर धकेल देता है।
क्रोध बढने पर मनुष्य का मन,बुद्धि आदि उसके वश में नहीं रहते और उसे असफलता, अपराध और गलत निर्णय की ओर ले जाते है।
ग्यान में भी बताई है, जब मुनियां ने अपने माता-पिता के भेद को जानो तो गुस्सा होय कर चले गये, तब सत्तगुर साहेब मुनियां से जगंल में मिले तो ग्यान में आई है
" सत्तगुर कहैं कहां तुम चाला, माता-पिता क्यों परछत डाला "
मुनियां को गुस्सा ( क्रोध) में कुछ नही समझ आ रहा था उसने जबाब दिया
" कौन है पिता कौन है माता, हम अतीत ब्रह्म के नाता "
भूल गये अहंकार वश कुछ भी मानने को तैयार नही, लेकिन धन्य है हमारे गुरु सत्तगुरसाहेब फिर भी मुनियां को समझा रहे है
" सत्तगुर कहै पाछे फिर जाओ, काहे धक्का बाद का खाहौ "
लेकिन अहंकार की पराकाष्ठा देखो मुनियां नाय समझ रहे, भाग रहे , ना समझ के कारण आकाशी तारे कर दिये गये।
ग्यान पढने से हमारे नेत्र खुलते है और समझ में आता है कि इस भौसागर को पार कैसे करें।
" भगत भेद और जाहिरी, सन्तन किया उपाय "
संतों ने जो उपाय करें, हमें वहीं करने होगें।
क्रोध करने से शरीर पर भी प्रभाव पडता है, नाडी पर आघात, नसों का फटना या उच्च रक्तदाब आदि भंयकर बीमारी के चपेट में आ जाना।
क्रोधी या अहंकारी मनुष्य का मानसिक संतुलन कभी ठीक नही रहता है, सब जने उससे दूर भागते है,कतराने लगते है, क्योंकि ना जाने कब भडक जायें और झगडा करने लगे, ऐसे मनुष्य तुनकमिजाजी हो जाते है और समाज से कट जाते है।
क्रोध के समय संयम बरतें, शांत रहे, शांत मस्तिष्क ही सही फैसले और उचित व्यवहार कर सकता है।
ग्यान में अहंकार को दुशमी बताया है, अहंकार का त्याग करके ही भगत-मारग पर जाया जा सकता है।
" अंहू मेंट कै भगत करैला, सो सत्त सेती प्रेम धरैला "
" जोगां जोग चलौ रे भाई, अंहू कुबध की मेटौ काई "
नाम, ग्यान और ध्यान से ही कारज बनेगें, मालिक से मांगो और कहीं भटकने की जरूरत नही है, शोर्ट कट मत पकडो, धीरे चले सुरक्षित पहुंचे।
सतनाम
Mks