इस संसार में हर इंसान प्रेम का भूखा है।

🙏🌷निर्मल सुप्रभात ।🌷🙏

*इस संसार में हर इंसान प्रेम का भूखा है।*

टालस्टाय एक दिन सुबह एक गांव की सडक से निकला। एक भिखारी ने हाथ फैलाया। टालस्टाय ने अपनी जेब तलाशी, लेकिन जेब खाली थी। वह सुबह घूमने निकला था और जेब में पैसे नहीँ थे।

उसने भिखारी को कहा, मित्र ! क्षमा करो, मेरे पास पैसे नहीं हैं, तुम जरूर दुख मानोगे। लेकिन मैं मजबूरी में पड़ गया हूं। पैसे मेरे पास नहीं हैं। उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, मित्र! क्षमा करो, पैसे मेरे पास नहीँ हैं। उस भिखारी ने कहा कोई बात नहीं। तुमने मुझे मित्र कहा, मुझे बहुत कुछ मिल गया।..यू काल्ड मी ब्रदर, तुमने मुझे बंधु कहा ! और बहुत लोगों ने मुझे अब तक पैसे दिए थे, लेकिन तुमने जो दिया है, वह किसी ने भी नहीं दिया था। मैं बहुत अनुगृहीत हूं।

एक शब्द प्रेम का – मित्र, उस भिखारी के हृदय में क्या निर्मित कर गया, क्या बन गया। टालस्टाय सोचने लगा। उस भिखारी का चेहरा बदल गया, वह दूसरा आदमी मालूम पड़ता था। यह पहला मौका था कि किसी ने उससे कहा था, मित्र। भिखारी को कौन मित्र कहता है? इस प्रेम के एक शब्द ने उसके भीतर एक क्रांति कर दी, वह दूसरा आदमी है। उसकी हैसियत बदल गयी, उसकी गरिमा बदल गयी, उसका व्यक्तित्व बदल गया। वह दूसरी जगह खड़ा हो गया। वह पद-चलित एक भिखारी नहीं है, वह भी एक मनुष्य है। उसके भीतर एक नया सृजन/क्रिएशन शुरू हो गया। प्रेम के एक छाेटे से शब्द ने.. उसे उस के अस्तित्व का बोध करा दिया.. 

प्रेम का जीवन ही रचनात्मक जीवन है। प्रेम का जीवन ही सृजनात्मक जीवन है। प्रेम का हाथ जहां भी छू देता है, वहां क्रांति हो जाती है, वहां मिट्टी सोना हो जाती है। प्रेम का हाथ जहां स्पर्श देता है, वहां अमृत की वर्षा शुरू हो जाती है।

*सांच कहूँ, सुन लेहो सभै।* 
*जिन प्रेम कियो, तिन ही प्रभ पायो।* 

*चार दिन की ज़िंदगी में सबसे प्यार, प्यार और केवल प्यार करते हुए हम सब का जीवन बीते।*

*सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया ।*
🌸आपका दिन आनंदमय हो ।🌸