मालिक से कैसे प्रेम करें

💥🪷🪷🪷 सतनाम🪷🪷🪷💥 एक भैया पूछ रहे हैं, कि हम मालिक से कैसे प्रेम करें, यदि हम संसार में किसी व्यक्ति से प्रेम करते हैं,  तो वह हमें दिखाता है, हम उससे प्रेम कर लेते हैं, लेकिन मालिक हमें दिखते ही नहीं तो प्रेम कैसे करें???? बड़े अचंभे की बात है, भाई  हमको तथा संसार को बनाने वाला हमें नहीं दिखता है, यह हमारी कमी है, अरे भाई साधारण बात है, तुम्हें किसने बनाया, संसार को किसने बनाया, इस संसार को कौन चला रहा है, और तुम्हारे शरीर के अंदर कौन तुम्हारे हृदय को चला रहा है, कौन तुम्हारे भोजन का पाचन कर रहा है, तो इन सब बातों पर विचार करने से मालूम होता है, कि इस संसार की रचना करने वाला कोई है, वही हमारा मालिक है, हम सदा यहां रहने वाले नहीं हैं, तो यहां से सब कुछ हमसे छूटेगा, तो जो छूटेगा वह हमारा कैसे हुआ, और हम गलती यही करते हैं, कि संसार के छूटने वाले वस्तु व्यक्तियों से ही हम प्रेम करते हैं, उन्हें ही अपना मानते हैं, तो भाई इस दुनिया में अगर कोई हमारा है, तो वह हमारा मालिक ही है, उसे ही अपना कहना है, और अपना कहना ही प्रेम करना है, "सत् की टेक प्रहलाद झेले रहा" अगिन में ऊभरी देह कांची। प्रह्लाद ने मालिक को अपना मान लिया, और उन्हीं के होकर संसार में रहने लगे, फिर मालिक ने उन्हें उनके पिता द्वारा दी गई अनेक यातनाओं से बचा लिया, तो प्रेम की कोई विशेष विधि नहीं है, जिसमें अपनापन होता है, वही हमारा प्रेमी होता है, इसलिए मालिक हमारे अपने हैं, वही हमारे प्रेमी हैं....