बड़ी अजीब है यह दुनिया । जिनके पास है, वे सोचते हैं मजे में होंगे वे लोग जिन्होंने सब छोड़ दिया है। और जिन्होंने सब छोड़ दिया है वे बेचैन हैं कि सारा संसार मजा कर रहा है, एक हम ही छोड़ बैठे हैं, पता नहीं हमने कोई गलती न की हो! ऐसी अदभुत है यह दुनिया। ऐसी विरोधाभासी है। यहां सम्राट सोचते हैं फकीर मजे में हैं। यहां फकीर सोचते हैं सम्राट मजे में हैं।
मैं तुमसे यह कहना चाहता हूं कि तुम जहां हो वहीं मजे में हो जाओ। न फकीर बनने की जरूरत है, न सम्राट बनने की जरूरत है। सम्राट हो तो भी ठीक चलेगा। फकीर हो तो भी चलेगा। न फकीरी पकड़ो न बादशाहत पकड़ो। पकड़ो मत! जो है, जो उपलब्ध हुआ है, उसे प्रभु का प्रसाद समझकर स्वीकार करो। और जल में कमलवत रहना सीखो। रहो जल में, लेकिन जल छुए न..!!