Problem with problem itself

Problem with problem itself::  एक बहुत ही सुन्दर कहानी है एक राजा था उसने बहुत प्रकार के पक्क्षी अपने बगीचे में पाल रखे थे वह उनकी बहुत देखभाल करता था एक बार वह दो नए पक्क्षी पकड़ कर लाया और बगीचे में रख दिए । कुछ दिन बाद  उसमें से  एक पक्क्षी उड़ने लगा यह देखकर राजा बहुत खुश हुआ लेकिन दुसरा पक्क्षी नही उड़ा यह देख राजा को चिन्ता हुई राजा सबसे अच्छे देखभाल वाले को उस पक्क्षी की देखरेख में लगाया लेकिन वह नही उड़ा । राजा काफी निराश हो गया और उससे पूछा कि  इसका  समाधान क्या है  तब उस सज्जन ने कहा हे राजन इसका हल माली के पास है राजा ने माली को बुलाया और कहा कि यह उड़ नही रहा इसका समाधान करों  । तथा राजा सोचने लगा की जब पक्क्षीयो की देखरेख करने वाला यह काम नही कर सका तो यह क्या करेगा । लेकिन अगले दिन राजा ने देखा की पक्क्षी तो आसमान में उड़ रहा है तब राजा ने माली को बुलाकर पूछा कि तुमने क्या किया । तब माली ने कहा महाराज मैंने वह ड़ाल काट दी जिस पर वह पक्क्षी बैठा था।। शिक्षा =   राजा को अपने स्रोतों का ग्यान नहीं होना । जैसे हमें मालिक दाता जी ने  ब्रह्म बनाया  है इसका ग्यान हमें नहीं होना ।  हम हमारे अन्दर जो रूकावट ( जो ग्यान में निहित है)  रूपी ड़ाल है उसको नही काटना । तब तक हम रूकावटो को पहचान कर आप हजूर से अरदास करके हटावाएगे  नही तब तक हम अगम घर की कृपा से लाभान्वित नही हो सकते ।