*मालिक दुख उसे ही देता है जिसे अपने करीब लाना चाहता है , एक पंक्ति जपजी साहेब में आती है "केतिया दुःख भुख साद मार यह भी दात तेरी दातार"*
*गुरु नानक पातशाह जी कहते है कि प्रभु ये दुःख भी तेरी किरपा है जो मुझे तेरी याद दिलाते है ।*
*एक अपाहिज सोचता है क़ि हे मालिक अगर में चल सकता होता तो रोज तेरे दर पर आता लेकिन हक़ीक़त तो यह है की अगर वो ठीक होता तो कभी ईस्वर के बारे में सोचता भी नही ।*
*याद करो जब हम सुखी थे तो सांसारिक व्यवस्तताओ में ही व्यस्त थे एक बार अपने अंदर झाँक कर देखो आपने पहले कभी मालिक को इतनी भावना से याद किया है , जितनी भावना से आज कर रहे है । ये दर्द ये दुःख मालिक की किरपा है क्योंकि ये हमे मालिक से जोड़ती है ।*
*"दुःख दारु सुख रोग भया जा सुख ताम ना होइ" दुःख असल मायने में दारु (दवा) है और दवा तो कड़वी होती ही है ,पर ठीक होने के लिए दवा तो पिनी ही पड़ेगी।*
*भाव मालिक तक पहुँचने के लिए दुःख तो सहना ही होगा हक़ीक़त तो यह है कि यदि पानी के बगैर सागर में डूबा नही जा सकता तो पानी के बगैर सागर पार भी नही किया जा सकता । उसी तरह संसार दुखो से भरा हुआ है।*
*अब यह हम जीवों पर डिपेंड करता है कि दुःख में डूब कर उस☝ मालिक को भूलना है या दुखो को ही साधन बना कर इस संसार सागर से पार उतारना है.।*
*गुरु नानक साहिब की बाणी के कुछ सिद्धान्त।*
*अगर जोतिष सच होते तो जन्म पत्री और कुंडलियां आदि मिला कर किये हुए विवाहो में कभी तलाक ना होता।*
*अगर नजर लगने से बिज़नेस में घाटा आता तो बिल गेट्स , अम्बानी जैसे कब के सड़क पर आ जाते क्योंकि इनको तो सारी दुनिया नजर लगाती है।*
*अगर सूरज को चढ़ाया पानी सूरज तक जाता तो हमारी जनता ने सूरज अब तक ठंडा कर दिया होता।*
*अगर पंडितो के हवन और ग्रंथिओ के अखंड पाठ करवाने से भविष्य बदल जाता तो अब तक इन लोगो के बच्चे जरूर अरबपति होते।*
*।।जरा सोचो।।*
*रब दा सिमरन ते कर्म सब तो उच्चा*