जीवन का आनंद लेने के लिए अपनी सोच और अपना नजरियां सबके लिए अच्छा रखना हैं!उसी तरह शरीर की अवस्था भी ठीक रखनी हैं!हमारी हमेशा कोशिश यहीं रहें!शरीर और मन को स्वस्थ रखें!महिर मालिक करेंगे!कोशिश हम करते रहे!और दूसरा काम यह करें हम ठीक ढ़ंग से सोचने का अभ्यास करें!स्वयं की अज्ञानता को पहचानना सरल होने की प्रथम सीढ़ी है!क्योंकि स्वयं को ज्ञानी समझना हमारी अहंकार की अवस्था है!और अहंकारी व्यक्ति कभी नाम ज्ञान ध्यान से नहीं लग पाते!इस लिए झुकाव बहुत जरूरी हैं!जब हमारी कहनी,और कथनी एक हो जायेगी!जीवन की सारी समस्यायें खुद व खुद,हल हो जायेंगी!