जो सतगुर का दास वो ही मालिक के पास है
जो सतगुर का दास है वो ही मालिक के पास है करले बंदे सुमरण तू जब तक घट में साँस है |
मालिक ने यो भेजा बन्दा करले नाम कि भक्ति को |
जान सके तो जान ले बंदे शब्द ज्ञान कि शक्ति को |
सच्चा सेवक तेरे पास है श्रृद्धा है विस्वास है ||
धर्म राय घर लेखा जोखा पाप पुन्य बट जायेगा |
अच्छे कर्म करेगा बंदे वो अच्छा ही कह लायेगा
सादा जीवन खास है झूठा ये रंग रास है ||
काल बली बचना चाहवै तो मालिक का होजा प्यारा
यंही नर्क है यंही स्वर्ग है चित में जिसने धारा है
सुनले ये अरदास है चाहत है तो उल्लास है ||
ज्ञान गंगा का गहरा सागर मोती मुस्किल पाया रे |
गोता मारे वो ही जीते बाहर खड़ा पछताए रे |
जिसको दरस कि आस है हिरदे में प्रकाश है ||
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