निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय।

💥🪷🪷🪷 *सतनाम🪷🪷🪷💥 प्रश्न... एक बहन ने पूछा है, जब कोई मेरी बुराई करता है, तो मुझे बहुत दुख होता है, यह दुख कैसे हटे?... देखो भाई यदि कोई तुम्हारी बुराई करें तथा तुमसे बैर रखें तो उसको भूला हुआ जीव मानो, क्योंकि तुम्हारी बुराई तो तुम्हारे प्रारब्ध के बिना हो ही नहीं सकती; जो तुम्हारी बुराई कर रहा है, वह अपनी ही बुराई कर रहा है, अतः वह दया का पात्र है, उसे क्षमा करो, तथा मालिक से प्रार्थना करो कि वे उसकी बुद्धि को सुधार दें, तुम अपने मन में कभी भी बैर मत रखो, क्योंकि बैर सदा जलाने वाला होता है, उसी के कारण तुम दुखी होती हो, और बैर हमें महान दुखों में फंसता है और मरने के बाद नरको में भी ले जाता है, तो हमें बुराई करने वाले से दुखी नहीं होना है, बैर नहीं रखना है, उल्टे वह तुम्हारी सफाई कर रहा है, उसका भला मनाओ  कबीर साहब ने कहा है "निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय।।" जो हमारी निंदा करता है वह हमको बिना पानी और बिना साबुन के हमारे स्वभाव को निर्मल कर रहा है, तो भाई बुराई करने वाले से दुखी मत होना, बल्कि उसका भला मनाओ वह हमारी सफाई कर रहा है...