तुम स्वीकार कर लो जीवन जैसा है परमात्मा ने दिया है,

नानक कहते है , तुम स्वीकार कर लो जीवन जैसा है परमात्मा ने दिया है, वही जाने। तुम इंकार मत करो। दुःख आए तो दुःख को भी स्वीकार कर लो कि उसकी मर्जी। और अहोभाव रखो, धन्यभाव रखो कि अगर उसने दुःख दिया है तो जरुर कोई राज होगा, कोई अर्थ होगा, कोई रहस्य होगा। तुम शिकायत मत करो। तम धन्यवाद से ही भरे रहो।
जवानी की राख से शमशान भरे पड़े हैं और लोग कहते हैं बुढ़ापे में भक्ति करेंगे

 कबीर दास जी
सत् करतार के दिल से शरणागत होना सम्पूर्ण साधनों का सार है, उपदेशों का सार है; क्योंकि सत् करतार के दिल से शरणागत होने के समान दूसरा कोई सुगम, श्रेष्ठ, और शक्ति शाली साधन नहीं है ।

स्वाति की बूँदें

 अगर हमारा उद्देश्य सिद्ध होता हो तो प्रतिकूलता सहने में क्या हर्ज है ? रात भर गाड़ी में भीड़ के बीच खड़े रहें तो भी एक प्रसन्नता होती है कि घर तो पहुँच जायँगे !