खुसरो दरिया प्रेम का, वाकी उल्टी धार जो उबरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार

सूफी संत अमीर खुसरो का वचन है;

 " खुसरो दरिया प्रेम का, वाकी उल्टी धार - जो उबरा सो डूब गया, जो डूबा   सो पार"

तात्पर्य है कि प्रेम एक ऐसा समुंदर है जिसकी उल्टी धार होती है। जो भी इस प्रेम-दरिया से अलग है वह इस भवसागर में डूब जाता है , और जो इस प्रेमदरिया में डूबता है वह इस संसार से पार हो जाता है ।

प्रेम सिर्फ बांटने के  लिए होता है। जब  हम किसी को भी प्रेम देते हैं तो उससे कहीं ज्यादा खुशी और प्रेम हमें बापस खुद व खुद मिल जाता है।
" सदा  प्रेम बांटते  चलो "