क्षमा के बारे में संत कबीर साहब के कुछ दोहे

जाने या अनजाने में मेरी किसी बातों की वजह से, मेरे किसी पोस्ट की वजह से, मेरे बर्ताव की वजह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अगर मैने आपका दिल दुखाया हो तो मुझे क्षमा करें.

मैं सच्चे दिल से और सच्चे मन से आप से नतमस्तक होकर माफी मांगता हूं।

🙏मिच्छामी दुक्कडम🙏

क्षमा के बारे में संत कबीर साहब के कुछ दोहे

1) भली भली सब कोई कहे,
भली क्षमा का रुप।
जाके मन क्षमा नही,
सो बूडे भव कूप॥

2) क्षमा समान न तप,
सुख नही संतोष समान।
तृष्णा समान नही व्याधी कोई,
धर्म न दया समान।।

3) सबल क्षमी(क्षमा करनेवाला),
निगर्व धनी, कोमल विद्यावंत।
भव मे भूषण ये तीन है,
औरो सब अनंत॥

4) क्षमा क्रोध को क्षय करे,
जो काहु पे होय।
कहे कबीरता दास को,
गंजी सके न कोय।।
(क्षमाशील व्यक्ती का कोई कुछ जादा नही बिगाड सकता)

5) भली भली सब कोई कहे,
रही क्षमा ठयराय।
कहे कबीर शीतल भया,
क्षमा जो आग बुझाये।।

6) जहाँ दया वहाँ धर्म है,
जहाँ लोभ तहाँ पाप।
जहाँ क्रोध वहाँ काल है,
जहाँ क्षमा वहाँ आप।

7) शील क्षमा जब उपजे,
अलख दृष्टी जब होय।
बीन शील पहूंचे नही,
लाख कथे जो कोय।