माटी चुन चुन महल बनाया,लोग कहें घर मेरा!ना घर

माटी चुन चुन महल बनाया,लोग कहें घर मेरा!ना घर तेरा,ना घर मेरा,यह तो चिड़िया जैसा रैन बसेरा!हमने सबने जग में कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी,जोड़ भरेला थैला!
संत कहे रहें,है,सुनो भाई साधो,संग चले ना धेला!
उड़ जाएगा हंस अकेला!!!
जग में दो दिन का मेला!ये प्रानी नाम जकर ध्यान कर ले नहीं तो रहे,जायेंगा अकेला
"अपना अपना सुधार करके संसार में सबसे पहले और सबसे बड़ा काम है!और मेरे मालिक का नाम ग्यान है!जितना निस्वार्थ बनकर जपैंगे!उतना ही इस प्रानी को मालिक का रक्क्षा,कबज, मिलता रहेंगा!मालिक ने समझ बुद्दि शक्ति देकर भेजा है,अपने प्रानी को अब हम पर डिपेन्ड करता है!अब हम कैसे मालिक की महिर से अपने इस मन के लगाव को इस जग से कैसे दूर करें!
जितने जितने निस्वार्थी होते जायेंगे!उतने ही संसार की बातों से दूर होते जायेंगे!उतना ही नाम ग्यान हृदय में रचता बसता जायेंगा!
सही सतनाम सुमर! सतनाम सरै सब काम!
  सत्तनाम सदां सही!