क्रोध की फुफकार अहं पर चोट लगने से उठती है।

क्रोध की फुफकार अहं पर चोट लगने से उठती है।

 क्रोध में विवेक नष्ट हो जाता है ।

झुकाव लाते ही हम  मालिक के प्रेम को पाने के क़ाबिल हो जाते है

जिन पेड़ों पर फल लगते है बह पेड़ झुकते है और तेज़ तूफ़ान में जो पेड़ झुक जातै है बही बच पाते है ।

।।गाहक मिलै तो कुछ कहूं, न तर झगड़ा होय।।
।।अन्धों आगे रोइये अपना दीदा खोय।
 यह सारी सरषटि मालिक के प्रेम से बनी है ब आपके प्रेम का पोषण प्राप्त कर रही है हम आपके इस अपार प्रेम का अनुभव आप दाता की कार  (सिफ़त ) मे है कर सकते है नाम के जाप से बह सिफ़त देखने की दरषटि मालिक सौंप देते है