मुहूर्त बनाने और मानने वालों के लिए आवश्यक

*मुहूर्त बनाने और मानने वालों के लिए आवश्यक चिंतन*
                                               
गर्भ धारण व शिशु पैदा होने का कोई मूहुर्त नही....
मृत्यु का कोई मुहूर्त नही ., क्योंकि ये बातें प्राकृतिक हैं।

विद्यालय मे प्रवेश ,परीक्षा मे प्रवेश , नौकरी हेतु इंटरव्यू, नौकरी की ज्वाइनिंग ,वेतन पाने इत्यादि का कोई मुहूर्त नही , पहले से तिथि निर्धारित होती है . इसके लिए मुहूर्त ढूंढते भी नहीं ...

फिर नामकरण ,शादी ,मकान हेतु भूमि पूजन ,गृह प्रवेश , मृत्यु भोज ( तेरहवीं) इत्यादि कर्म कान्ड मे मुहूर्त कैसे घुस गया ???

जाहिर है धूर्त , बेइमान लोगो ने अपने निहित स्वार्थ हेतु समाज को गुमराह किया व उनके दिमाग को खराब किया .....

*"मुहूर्त ", पोंगापंथियों एवं गपोडशंखियों का एक कूटरचित शब्द है।*                                               

तो हमारा काम बिना मुहूर्त के क्यों नहीं हो सकता है?

अब आपको विचार करना है कि,

आप और आपका परिवार कब इस मुहूर्त के चक्कर से मुक्त होगा?      
                                
मंदिर का महंत, चर्च का पादरी, मस्जिद का इमाम या कोई ज्योतिष नक्षत्र का ज्ञाता बीमार होता है तो वह इतनी पवित्र जगह को छोड़ कर *अस्पताल* क्यों जाता है? और यदि जाता भी है तो मुहूर्त से क्यों नहीं जाता?   
                                      
     कोई पाचवीं फेल एक ढोंगी ग्रह नक्षत्रों का ज्ञाता हो सकता है  यह हमारा बीमार दिमाग मानता है । डाक्टर इंजिनियर बडे से बडा अधिकारी ,पाचवीं फेल एक व्यक्ति का गुलाम है , विज्ञानं पर अविश्वास कर रहे हो।    
                                   *सभी दिन, तिथि, वार, दिशा खगोल और प्रकृति निमित्त है। कोई बुरा नहीं कोई अच्छा नहीं। जब संसार की सबसे बड़ी 2 घटनाएं जन्म और मृत्यु का कोई मुहूर्त नहीं है तो बाकी भी सब वहम् है।*