विकास की भी यात्रा आसान नही होती

विकास की भी यात्रा आसान नही होती!कई मोड़ और पड़ाव आते हैं! कभी खुद को टूटते हुए देखते हैं!तो कोई एक उपलब्धि हमेशा के लिए भीतर के डर को जी लेती हैं!आत्म-विकास की राह भी पहाड़ चढ़ने जैसी ही हैं,जिस पर जीत सकुन दाता की कृपा महैर और दाता की दी हुई अच्छी मन और बुद्धि से बनाए!रास्ते पर चलकर ही मिलती है! लड़ाई झगड़े का परिणाम कभी भी फायदेमंद नहीं हुआ है!और नही होता हैं!यह बात सोच समझ कर विचार करने लायक है!सो हम जरूर विचार करें!करेगें तभी अमल में ला पायेंगे!मन को भी प्रेम से ही समझाया जा सकता है!हम जरूर विचार करें!
          सत्तनाम!
         राखी साध!