दुसरो पर हकुमत करने का भाव ही अंहकार की निशानी है

दूसरो पर हकुमत करने का भाव ही अंहकार की निशानी है!और अंहकारी कभी मुक्ती नही पाते! गुस्सा अंहकार से कोई कुछ भी नही पा सकते!मालिक दाता की शरण में आने वाले ही मुक्ती पाते हैं!मालिक दाता के यहाँ सबके लिए नियम एक है! कोई वक्से नही गये! अगर किसी ने गलती करके मान ली तो बच गये!और फिर अगर हमने नही मानी तो सजा पाई!हम कोशिश करें!हमसे कोई गलती हो गई!वो गलती दूवारा न हो
अच्छा हुआ या कम अच्छा हम कोशिश करें!जो हो वो हम सच बोले!क्योंकि जो सच होता हैं!वो मेरे दाता को सब पता होता हैं!इस लिए हमें क्यों छुपाना और क्यों कर्म के भागीदार बनें!
हम ज्यादा से ज्यादा दाता का नाम जपै!जिससे करनी रूपी धन जमा हो और ज्यादा से ज्यादा सच्चाई के साथ हर काम करें!ताकि अच्छे कर्म बनें!हमारे हम विचार जरूर करे!और करेंगें!तभी अमल कर पायेंगे!
             सतनाम!
             राखी साध!