उपदेश लेना हो तो पहले मन को साफ और शुद्ध करना चाहिए

उपदेश लेना हो तो पहले मन को साफ औऱ शुद्ध करना चाहिए ।।
कुछ पाने के लिए और पात्र को भरने के लिए उसे पहले खाली करना पड़ता है रिकत पाऋ मे ही नई चीज समा सकतीं हैं।अच्छे बिचार या अच्छे उपदेश तभी जीवन को सुख या आनन्द दें  सकते है।जब पहले से जगह बना चुके गंदे बिचारों की सफाई की जाए।सब जानकर भी जिसने यह नहीं जाना कि मैं कौन हूं।वह रीता का रीता रह जाता है,इसलिए रवंय की शुद्धि और अपना ज्ञान सबसे बड़ा साधन है सुख पाने का।स्वयं  से रंवय का साक्षात्कार ही आननद और सुख देने वाला हुआ।
दृष्टि कोण सकारात्मक हो जाता है।तब दुःख, क्षोभ ,कुछ भी नहीं रह जाता।निगेटिव थिंकिग से दुख और शोक उपज है।चेतना पर नकारात्मक की जंग न लगने दो ध्यान  से मंत्र जप के दारा अपनी चेतना को निरमल बनाते रहे, उसे बराबर साफ करते रहे।