जो लोहे को सोना बना सके

**साध सधीरा, पारस पूरा**
जो लोहे को सोना बना सके, वह पारस, अन्यथा एक साधारण पत्थर।
जो अच्छा बुरा सब एक नजर से देखे, मुस्कुराकर झेल (संघर्ष) करे, और कभी बिचलित न हो, वही साध है, अन्यथा एक साधारण मनुष्य।
*धीरज ड़िढ़ कै राखौ साधौ, तौ तुम परचा परघट लाधौ"।
संत कह रहे हैं कि, कैसा भी कठिन दौर क्यों न हो, द्रणता और मजबूती के साथ धीरज धरो, मालिक पर विस्वास करो, और शांत रहो।
जल्द ही तुम्हे मालिक का किया न्याय दिखाई देगा।
धीरज धारण कर, मालिक में पूर्ण आस्था, और विस्वास, रखने बाला ही साध है।
"होसी जोग बिजोग न होई , परचे साध डिगौ मत कोई"।
मालिक ने जब भी, जो भी, किया है, जोग ही किया है और वह जो भी करेंगे जोग ही करेंगे।
मालिक में पूर्ण विस्वास है, तो अपने स्थान पर कायम रहना, यही साध की साधना (कसौटी) है।
"रहत मैं डिगै सो कायर काँचा"।
जो जरा सी मुसीबत आने पर, झाड़, फूंक गंडा, ताबीज, मुल्ला, पादरी, संसारी गुरूओं और ज्योतषियों के चक्कर लगाने लगें, वह कायर, कमजोर और कच्चे हैं।
"समझा साध कसौटी सहै, प्रभू आगे भेद न कहै"।
जो साध मालिक को जानते और समझते हैं, वह हर मुसीबत को, हँसकर बरदास्त कर लेंगे, मगर अपने मन की बिथा, कभी किसी संसारी भगवान, या गुरू के समक्ष प्रस्तुत नहीं करेंगे।
"तेजराम कहै सत्त बिचारो, साधू चौरासी सै न्यारो"।
तेजराम संत कह रहे हैं कि, मालिक के बताये नाम ग्यान को अपने बिचारों में बसाकर, उन पर पूर्ण विस्वास करो।
समझदार साध वही है, जो खुद को चौरासी के मार्ग से सदैव्य दूर रखता है।
सत्तनाम।(राजमुकट साध)।