तुम ख्याल करो, जितना अहंकार हो उतनी ही जीवन में ज्वालाएँ सहनी पड़ती है; उतना ही उत्ताप झेलना पड़ता है; उतने ही घाव....।
जितना अहंकार कम हो उतने घाव नहीं।
अहंकार ही नहीं तो घाव लगे कैसे?
अहंकार ही नहीं तो कोई गाली भी दे जायेगा तो फुल जैसी पड़ेगी।
और अहंकार हो तो फूल भी मार दो किसी को, तो पत्थर जैसा लगेगा।
अहंकार के कारण ही तुम्हारा जीवन आग की ज्वालाओं में जल रहा है।
तुम शीतल नहीं हो पा रहे।
तुम शांत नहीं हो पा रहे।
तुम जीवन का परम आनंद नहीं अनुभव कर पा रहे।
तुम अपने ही हाथों नर्क में हों।
स्वर्ग तुम्हारा हो सकता है।
स्वर्ग तुम्हारा अधिकार है तुम्हारा स्वरूप - सिद्ध अधिकार है।
मगर शर्त पूरी करनी होगी, अहंकार को गिराना होगा।
!! ओशो !!