जिस प्रकार किसी सफ़र पर निकलने में हमारा उद्देश्य अपने गंतव्य स्थान या मंज़िल पर पहुँचना होता है....और मंज़िल की प्राप्ति बग़ैर हमारा सफ़र अधूरा रहता है एवं हम शीघ्रता से मंज़िल तक पहुँचने की कामना करते हैं..... उसी प्रकार ये जीवन भी एक सफ़र है और हमारी मंज़िल हमारे परमपिता मालिक का घर यानि अवगत आप का दरबार है और ये ही हमारे जीवन रूपी सफ़र का अंतिम पड़ाव है.... अत: हम सबको इस पड़ाव तक शीघ्रता से पहुँचने की चाहना करते हुए अपना अधिकतम समय बंदगी में व्यतीत करना चाहिए...
सत्तनाम
सत्तनाम