ध्रुब कुमार साध,
तुम्हारी समझने और मतलव निकालने की शक्ती शायद कुछ अधिक है।
जब ही बिना बिचार किये, तुमने हमारी बात को गलत तरह से परिभांषित किया।
सत्तअबगत सृष्टिकर्त्ता का नाम है।किसी किरतम का नहीं।
हमने कहा है कि सत्तनाम यानी सच्चा नाम, और साधों के लिये एक सत्तअबगत ही सच्चा नाम है।
साध जब सत्तनाम कहते हैं, उसका एक ही मतलब होता है। मालिक को याद करना।
सामने बाला जब जवाव में सत्तनाम कहता है।
इसका मतलव है दोनों ने एक दूसरे से मिलने पर मलिक को याद किया।
सत्तनाम कहने का अभिप्राय है। मालिक को याद करना, मालिक की याद दिलाना।
पंजावी भी सत्तनाम कहते है।सत्तनाम को वह भी मालिक का नाम ही मानते है मगर वह नानक के लिये कहते हैं।
अब हमें बताओ अराम सुख किस का नाम है।
क्या सही में तुम्हारे पास आराम सुख है या ऐसे ही झूंठमूठ औपचारिकता निभा रहे हो।
सत्तनाम।
राजमुकट साध
प्राणी इस संसार में अकेला ही जन्म लेता है और अकेला ही इस संसार से जाता है
तथा अपने पाप एबम पुण्य भी अकेले ही भोगता है
संसार में जितने भी संबध है सब मिटने बाले है
केबल एक मालिक से ही हमारा सच्चा संबध है जो कभी नहीं मिटता
इसलिए मालिक के नाम को ही अपने हिरदे में बसाना है जो संग चलने बाला है
मालिक से अरदास करते रहे कारज सब बनते रहेंगे
तुम्हारी समझने और मतलव निकालने की शक्ती शायद कुछ अधिक है।
जब ही बिना बिचार किये, तुमने हमारी बात को गलत तरह से परिभांषित किया।
सत्तअबगत सृष्टिकर्त्ता का नाम है।किसी किरतम का नहीं।
हमने कहा है कि सत्तनाम यानी सच्चा नाम, और साधों के लिये एक सत्तअबगत ही सच्चा नाम है।
साध जब सत्तनाम कहते हैं, उसका एक ही मतलब होता है। मालिक को याद करना।
सामने बाला जब जवाव में सत्तनाम कहता है।
इसका मतलव है दोनों ने एक दूसरे से मिलने पर मलिक को याद किया।
सत्तनाम कहने का अभिप्राय है। मालिक को याद करना, मालिक की याद दिलाना।
पंजावी भी सत्तनाम कहते है।सत्तनाम को वह भी मालिक का नाम ही मानते है मगर वह नानक के लिये कहते हैं।
अब हमें बताओ अराम सुख किस का नाम है।
क्या सही में तुम्हारे पास आराम सुख है या ऐसे ही झूंठमूठ औपचारिकता निभा रहे हो।
सत्तनाम।
राजमुकट साध
प्राणी इस संसार में अकेला ही जन्म लेता है और अकेला ही इस संसार से जाता है
तथा अपने पाप एबम पुण्य भी अकेले ही भोगता है
संसार में जितने भी संबध है सब मिटने बाले है
केबल एक मालिक से ही हमारा सच्चा संबध है जो कभी नहीं मिटता
इसलिए मालिक के नाम को ही अपने हिरदे में बसाना है जो संग चलने बाला है
मालिक से अरदास करते रहे कारज सब बनते रहेंगे