जब अपने मन की नहीं होती है तब ग़ुस्सा आता है

जब अपने मन की नहीं होती है तब ग़ुस्सा आता है
कुछ vichar ......


क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है।

मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है।

क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की गलतियों कि सजा स्वयं को देना।

सत्त की टाँकी टुक टुक लागी
सकल जहाँ माहि देख

हर ज़र्रे पर आप धनी की शक्ति कार्य कर रही है बह अदृश्य ब सूक्ष्म है खुली आँख से नही दिखती
अन्तकरण की खोज करने पर ब अपनी आत्मा की
अनुभूति होने पर मालिक मैहर करके बह दरषटि खोल देते है जिससे आपकी टाँकी हर समय दीखने लगती है ।
 जाप , सुमरन , ध्यान ब सुरत शब्द योग इसके सहायक है ।



सही है सत्त की टाँकी हर जगह है लेकिन जब हमें अपनी मै से समय मिले तबही उनकी टाँकी हमें दीखेगी
सत्तनाम