नाम मे जो सीख है जब हम उसै अपनाबेगे तब ही तो सही जाप हो पाऐगा

नाम मे जो सीख है जब हम उसै अपनाबेगे तब ही तो सही जाप हो पाऐगा
और सीख मे है दास और हुकमी होने का भाव जैसे सत्त( अवगत की इच्छा) उनकी हुक्मी और दास है हमें भी अपने गुरू सतगुर साहब
का हुक्मी होना है जब भी हम जाप करें हुक्मी और दास भाव मन मे रख कर जाप करें बिना किसी चाहना के
तबही नाम मे सुरत लगेगी
सत्तनाम