पहले दिन बरम को भोग दीजिये रविवार को छोडकर किसी भी दिन से शुरु कर सकते हैं सवेरे को.... 1 कटोरी दूध में 2 बताशा डालना है, 5 अगरबत्ती, 1 दीपक सरसों के तेल या घी का खडी बाती का, 5 लड्डू...बूंदी या बेसन के, ये पीपल के पेड़ पर चढ़ाओ,पीपल का पेड मंदिर के चार दीवारी के अंदर होना चाहिए फिर हर मंगलवार को यही भोग दिया जाएगा (11 मंगलवार)
और कहना है हे बरम बाबा मै ये भोग विक्रम गुरु जी और उनके गुरु योगी आनंद जी के कहे अनुसार आपको देने आई/आया हूं इसे आप स्वीकार कीजिए
कहना हे बरम बाबा हमारे ऊपर प्रसन्न होइए और हमारे घर पर उपस्थित रहा कीजिये अंश के रूप में और मेरे परिवार की रक्षा कीजिये
फिर वहीं पर बैठकर 108 बार ॐ ह्रीं राम जपकर बरम बाबा को समर्पित करो
उसी समय
फिर उसी वृक्ष से 1 पत्ता पीपल का तोड़कर घर लाओ और उसपर ॐ लिखकर सिंदूर से उसके ऊपर थोडे से चावल रख कर उसको किसी प्लेट मे रखो उसके ऊपर दीपक रखो खडी बाती का
फिर सबसे पहले आसन बिछा लीजिये दीपक जला लीजिये और आसन मंत्र बोलिए 3 बार
आसन मंत्र 3 बार
ॐ शिव गद्दी आसनाय मम रक्षा कराये नमः
आपके पास 50 ग्राम लौंग, 50 ग्राम मिश्री, 1 लाल आसन पूजा वाला, और एक
रुद्राक्ष की माला और गोबर के उपले होने चाहिए
फिर गोबर के उपले की गैस या चुल्हे पर बढिया अंगारी बना कर उसे मिट्टी के पात्र मे डालें फिर उसमे थोडा सा देसी घी और कपूर डालें और अग्नि प्रजवलित करें फिर उसमे 02 लौंग फुल वाली और 01 मिश्री का दाना हाथ मे लेकर हर रोज जलती अग्नि मे इन देवताओं का नाम लेकर हर देवता का अलग -अलग भोग देना है भोग देने से पहले 24 लौंग 12 मिश्री के दाने पूरे परिवार के ऊपर से 7 बार उल्टा घुमाना है फिर बारी -बारी से हर देवता का भोग देना है
फिर माला हाथ मे लेकर तीन मनको पर
माला मंत्र 3 बार
ॐ सिद्ध माला मातेश्वरी नमः
फिर रक्षा मंत्र 3 बार
ॐ पर ब्रह्म परमात्मा मम शरीरे रक्षा कुरु कुरु स्वाहा
फिर 5 माला इस मंत्र की ,ॐ शिव गोरख, 5माला
ॐ नम शिवाय
और 5 ही माला इस मंत्र की
ॐ रिम राम
शनिवार के 3 उतारे होंगे
2 रोटी कच्ची पक्की मीठी नमकीन, 1 जायफल, 7 मिठाई के पीस, 1 नींबू
एक रोटी में आपको चीनी मिल लेना है दो चुटकी दूसरी रोटी में आपको नमक और मिर्च के चुटकी डाल लेना है तो यह नमकीन हो जाएगी अब आपको इसको तवे पर डाल लेना है रोटी बनाकर लेकिन इसको पलटना नहीं है एक साइड से पका लेना है
इसको पका लेने के पश्चात उतार लीजिए और कच्ची साइड आप सरसों का तेल लगाइए और एक टीका सिंदूर का कीजिए एक टीका आप काजल का कीजिए और इस सारे सामान को अपने सर से उल्टा घूमाकर सब लोगों के और बाहर रखकर आना है इसको कहीं पर सुनसान जगह पर वीरान जगह पर
वहां बोलना है कि हे माता मशानी अपना भोग स्वीकार करो और जो भी मेरे साथ नेगेटिव शक्ति है सबको पकड़कर यही बांध लो मैं अगले शनिवार भोग लेकर फिर से आऊंगा
22 वे दिन हवन करना होता है
आपको हवन सामग्री में थोड़े से काले तिल थोड़े से चावल थोड़ी सी चीनी और घी मिला लेना है इसको अपने ऊपर से 7 बार उल्टा घुमा लेना है...
अब आप आग बना लेंगे लकड़ी पर जलाइए या गोबर के कंडे पर जैसे भी बनाएं उसमें सबसे पहले जो फोटो में 12 देवता है सबके नाम से एक-एक आहुती देंगे
फिर आधी सामग्री की ओम नमः शिवाय मंत्र की और जो सामग्री बच जाए उसे आहुति ओम ह्रीं राम मंत्र की...
यह दे देना है पानी का गिलास रखना है पास उसको हवन के बाद पानी को घर में सब पी लेना है यह करना है और ठंडी भस्म को बहते पानी में बहा देना
चले मंत्र गोरख नाथ की दुहाई काली काली महाकाली मेरे बुलाए जल्दी आओ मेरे शत्रु का नाश मचाओ मेरा दुख दलीदर भगाओ तंत्र काटो और बचाओ घर मे मेरे धन संपत्ति लाओ दुहाई महाकाल की दुहाई श्री गणेश की ।
41 दिन मे जितने भी शनिवार आएंगे माता मशानी का भोग देना है
41 दिन मे जितने भी मंगलवार आएंगे बरम बाबा का भोग देना है पीपल वृक्ष के नीचे पीपल का पत्ता केवल पहले दिन आएगा बाकि के मंगलवार को केवल भोग दिया जाएगा
चले मंत्र गोरख नाथ की दुहाई वाला मंत्र 41 दिन के बाद आरंभ करना है एक माला निकालनी है
: एक बार सब पढ लेना कुछ समझ ना आए तो मुझ से पूछ लेना
और जब भी सुबह/शाम की ज्योत जगाओ तो बोलो मेरे क्षेत्र की शीतला महारानी मेरी ज्योत पर आकर विराजमान हो जाइए और मेरे परिवार की रक्षा कीजिए 41दिन तक ये बोलना है 41 दिन के बाद जब भी ज्योत जगाओ उस समय बोलना है मेरे घर की कुलदेवी ज्योत पर आकर विराजमान हो जाओ मेरी और मेरे परिवार की रक्षा करो