vikram

 संकल्प मे बोलना है हाथ मे गंगा जल लेकर :- ना तो मै अपने घर  के किसी प्रेत या पित्र को रखना चाहता हूं और ना ही मै इन्हे घर से भगाना चाहता हूं मै चाहता हूं कि मेरे घर के प्रेतों को प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाए और और इन्हे इस नरक से छुटकारा मिल जाए या तो इन्हे नया जन्म मिल जाए या फिर इनको पित्र लोक की प्राप्ति हो जाए ।
 पहले दिन बरम को भोग दीजिये  रविवार को छोडकर किसी भी दिन  से शुरु कर सकते हैं सवेरे  को.... 1 कटोरी दूध में  2 बताशा   डालना है, 5 अगरबत्ती, 1 दीपक सरसों के तेल या घी का खडी बाती का, 5 लड्डू...बूंदी या बेसन के, ये पीपल के पेड़ पर चढ़ाओ,पीपल का पेड मंदिर के चार दीवारी के अंदर होना चाहिए फिर हर मंगलवार को यही भोग दिया जाएगा (11 मंगलवार)
 और कहना है हे बरम बाबा मै ये भोग विक्रम गुरु जी और उनके गुरु योगी आनंद जी के कहे अनुसार आपको देने आई/आया हूं इसे आप स्वीकार कीजिए
 कहना हे बरम बाबा हमारे ऊपर प्रसन्न होइए और हमारे घर पर उपस्थित रहा कीजिये अंश के रूप में और मेरे परिवार की रक्षा कीजिये
फिर वहीं पर बैठकर 108 बार ॐ ह्रीं राम जपकर बरम बाबा को समर्पित करो 
उसी समय
 फिर उसी वृक्ष से 1 पत्ता पीपल का तोड़कर घर लाओ और उसपर ॐ लिखकर सिंदूर से उसके ऊपर थोडे से चावल रख कर उसको किसी प्लेट मे रखो उसके ऊपर दीपक रखो खडी बाती का
फिर सबसे पहले आसन बिछा लीजिये दीपक जला लीजिये और आसन मंत्र बोलिए 3 बार
 आसन मंत्र 3 बार 

ॐ शिव गद्दी आसनाय मम रक्षा कराये नमः
 आपके पास 50 ग्राम लौंग, 50 ग्राम मिश्री, 1  लाल आसन पूजा  वाला, और एक
रुद्राक्ष की माला और गोबर के उपले होने चाहिए
 फिर गोबर के उपले की गैस या चुल्हे पर बढिया अंगारी बना कर उसे मिट्टी के पात्र मे डालें फिर उसमे थोडा सा देसी घी और कपूर डालें और अग्नि प्रजवलित करें फिर उसमे 02 लौंग फुल वाली और 01 मिश्री का दाना हाथ मे लेकर हर रोज जलती अग्नि मे इन देवताओं का नाम लेकर हर देवता का अलग -अलग भोग देना है भोग देने से पहले 24 लौंग 12 मिश्री के दाने पूरे परिवार के ऊपर से 7 बार उल्टा घुमाना है फिर बारी -बारी से हर देवता का भोग देना है
 फिर माला हाथ मे लेकर तीन मनको पर

माला मंत्र 3 बार 

ॐ सिद्ध माला मातेश्वरी नमः
 फिर रक्षा मंत्र 3 बार 

ॐ पर ब्रह्म परमात्मा मम शरीरे रक्षा कुरु कुरु स्वाहा
 फिर 5 माला इस मंत्र की ,ॐ शिव गोरख, 5माला
ॐ नम शिवाय 
और 5 ही माला इस मंत्र की 
ॐ रिम राम
 शनिवार के 3 उतारे होंगे 

2 रोटी कच्ची पक्की मीठी नमकीन, 1 जायफल, 7 मिठाई के पीस, 1 नींबू

 एक रोटी में आपको चीनी मिल लेना है दो चुटकी दूसरी रोटी में आपको नमक और मिर्च के चुटकी डाल लेना है तो यह नमकीन हो जाएगी अब आपको इसको तवे पर डाल लेना है रोटी बनाकर लेकिन इसको पलटना नहीं है एक साइड से पका लेना है

 इसको पका लेने के पश्चात उतार लीजिए और कच्ची साइड आप सरसों का तेल लगाइए और एक टीका सिंदूर का कीजिए एक टीका आप काजल का कीजिए और इस सारे सामान को अपने सर से उल्टा घूमाकर सब लोगों के और बाहर रखकर आना है इसको कहीं पर सुनसान जगह पर वीरान जगह पर
वहां बोलना है कि हे माता मशानी अपना भोग स्वीकार करो और जो भी मेरे साथ नेगेटिव शक्ति है सबको पकड़कर यही बांध लो मैं अगले शनिवार भोग लेकर फिर से आऊंगा

 22 वे दिन हवन करना होता है 

आपको हवन सामग्री में थोड़े से काले तिल थोड़े से चावल थोड़ी सी चीनी और घी मिला लेना है इसको अपने ऊपर से 7 बार उल्टा घुमा लेना है... 

अब आप आग बना लेंगे लकड़ी पर जलाइए या गोबर के कंडे पर जैसे भी बनाएं उसमें सबसे पहले जो फोटो में 12 देवता है सबके नाम से एक-एक आहुती देंगे 

फिर आधी सामग्री की ओम नमः शिवाय मंत्र की और जो सामग्री बच जाए उसे आहुति ओम ह्रीं राम मंत्र की...

यह दे देना है पानी का गिलास रखना है पास उसको हवन के बाद पानी को घर में सब पी लेना है यह करना है और ठंडी भस्म को बहते पानी में बहा देना

 चले मंत्र गोरख नाथ की दुहाई काली काली महाकाली मेरे बुलाए जल्दी आओ मेरे शत्रु का नाश मचाओ मेरा दुख दलीदर भगाओ तंत्र काटो और बचाओ घर मे मेरे धन संपत्ति लाओ दुहाई महाकाल की दुहाई श्री गणेश की ।
 41 दिन मे जितने भी शनिवार आएंगे माता मशानी का भोग देना है
 41 दिन मे जितने भी मंगलवार आएंगे बरम बाबा का भोग देना है पीपल वृक्ष के नीचे पीपल का पत्ता केवल पहले दिन आएगा बाकि के मंगलवार को केवल भोग दिया जाएगा
चले मंत्र गोरख नाथ की दुहाई वाला मंत्र 41 दिन के बाद आरंभ करना है एक माला निकालनी है
: एक बार सब पढ लेना कुछ समझ ना आए तो मुझ से पूछ लेना

  और जब भी सुबह/शाम की ज्योत जगाओ तो बोलो मेरे क्षेत्र की शीतला महारानी मेरी ज्योत पर आकर विराजमान हो जाइए और मेरे परिवार की रक्षा कीजिए 41दिन तक ये बोलना है  41 दिन के बाद जब भी ज्योत जगाओ उस समय बोलना है मेरे घर की कुलदेवी ज्योत पर आकर विराजमान हो जाओ मेरी और मेरे परिवार की रक्षा करो

मधुरांतक नाम से इसका सीरप

1मैं जिस पौधे के साथ खड़ी हूं ये कमाल का पौधा है। आपमें से बहुत लोग इसे पौधे को पहचान रहे होंगे। खासकर वो जो डायबिटिक हैं।अमेजॉन पर ये पौधा लगभग ग्यारह सौ रुपए का है ।
मार्केट में इसकी बहुत डिमांड है। मधुरांतक नाम से इसका सीरप भी खूब बिकता है ।जब तक हमारे घर ये नहीं लगा था हमनें भी इसका सीरप खूब खरीदा ।डायबिटीज़ में इस पौधे की टहनी और पत्तियां वरदान हैं । डायबिटीज़ के लिए ये एक वंडर हर्ब है।ये मूल रूप से अफ्रीकी मूल की एक झाड़ी है।इसका साइंटिफिक नेम Vernonia amygdalina है।    अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इसे Bitter leaf (कड़वी पत्ती)के नाम पहचान मिली है ।ये एक इंसुलिन औषधीय पौधा है।
जनवरी फरवरी महीने में ये पूरा पौधा फूलों से लद जाएगा।
इस झाड़ी का हर हिस्सा काम का है पत्ती, टहनी ,फूल सब। इसके फूल हल्के रंग का शहद बनाते हैं।इस शहद को हाइपर डायबिटिक लोग भी यूज़ कर सकते हैं ।इसकी टहनी को चबाने से आंत की सूजन दूर होती है ।खाली पेट सुबह इसकी दो पत्तियां चबाने से शुगर कंट्रोल रहता है ।ये‌ एंटीबैक्टीरियल है और इसकी  पत्तियों उबालकर पीये जाने पर  मलेरिया ,हेपेटाइटिस, मतली, मलेरिया और बुखार का इलाज कर सकती है। इसे एंटी-पैरासिटिक के रूप में भी बहुत इस्तेमाल किया जाता है। इसकी लकड़ी का उपयोग जलाऊ लकड़ी के रूप में किया जाता है और इससे चारकोल  बनाया जाता है। इसकी टहनियां प्राकृतिक रूप से दीमक के प्रति प्रतिरोधी होती हैं और इन्हें बाड़ के खंभों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। 
कुल मिलाकर ये साधारण सी झाड़ी एक जादुई पौधा है इसलिए घर की बगिया में इसे ज़रूर जगह दें।

मरती कोशिकाओं तथा लिवर के सिरोसिस

मरती कोशिकाओं तथा लिवर के सिरोसिस स्कार्स को ठीक करने के साथ साथ कैंसर तथा बंद पड़े लिंफेटिक सिस्टम डूबते इम्यून सिस्टम को पुनर्जीवित कर सकता है ये वन फल**

20-30 फल रोज कोई भी खा सकता है पत्ते तना जड़ चिकित्सक की देखरेख में ही प्रयोग करना है

***ये रसभरी नहीं पर उसी परिवार का सदस्य है***

हरियाणा में भ़ंभोला मेरा सर्वप्रिय वन फल  गजब औषध 
वन ग्राऊंडचेरी वानस्पतिक नाम : physalis angulata 
एक छोटा सा पौधा है। इसके फलों के ऊपर एक पतला सा आवरण होता है। कहीं-कहीं इसे 'मकोय' भी कहा जाता है परंतु मकोय अलग होता है ! छत्तीसगढ़ में इसे 'चिरपोटी' बिहार मे इसे बमभुटका व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पटपोटनी भी कहते हैं। राजस्थान मे इसे सिरपोटी करते है | इसके फलों को खाया जाता है। 
वन भंभोला औषधीय गुणो से परिपूर्ण है।
ग्राउंड चेरी  यानि भंभोला का फल और पंचांग (फल, फूल, पत्ती, तना, मूल) उदर रोगों (और मुख्यतः यकृत) के लिए लाभकारी है। इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से पाचन अच्छा होता है साथ ही भूख भी बढ़ती है। यह लीवर को उत्तेजित कर पित्त निकालता है। इसकी पत्तियों का काढ़ा शरीर के भीतर की सूजन को दूर करता है। सूजन के ऊपर इसका पेस्ट लगाने से सूजन दूर होती है। ग्राउंड चेरी की पत्तियों में कैल्सियम, फास्फोरस, लोहा, विटामिन-ए, विटामिन-सी पाये जाते हैं।  बवासीर में इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से लाभ होता है। संधिवात में पत्तियों का लेप तथा पत्तियों के रस का काढ़ा पीने से लाभ होता है। खांसी, हिचकी, श्वांस रोग में इसके फल का चूर्ण लाभकारी है। बाजार में अर्क-रसभरी मिलता है जो पेट के लिए उपयोगी है। सफेद दाग में पत्तियों का लेप लाभकारी है।
इसमें  विटामिन-सी, विटामिन-ए और आयरन से भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इस फल के सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। इसके अलावा यह आंखों के लिए भी काफी फायदेमंद है। इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है। जिससे आप मोतियाबिंद आदि समस्याओं से बच सकते हैं।
इसके फल में हैपॉलीफेनोल्स और कैरोटीनॉयड जैसे फाइटो केमिकल्स मौजूद होते हैं। जो हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंद है। यह हाई बीपी के स्तर को कंट्रोल करने में मददगार है। इसके अलावा इसमे घुलनशील पेक्टिन फाइबर पाया जाता है, जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इससे दिल से जुड़ी बीमारियां कम होती हैं।
इस फल में कैल्शियम और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में होता है। जो हड्डियों को स्वस्थ रखते हैं। इसमें मौजूद पेक्टिन कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण में मदद करता है। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं ।

ग्राऊंडचेरी के भीतर पाए जाने वाले कुछ यौगिक कार्बोहाइड्रेट से सरल शर्करा के टूटने और सेवन को धीमा कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि शरीर और खून की मात्रा चीनी के साथ अधिक नहीं बढ़ी है और इंसुलिन रिसेप्टर्स ठीक से नियंत्रित रहते हैं। अत्यधिक रक्त शर्करा का उतार-चढ़ाव शुगर की बीमारी (मधुमेह) का मुख्य कारण है। जिसका अर्थ है कि रसभरी टाइप 2 मधुमेह के लिए बहुत ही अच्छा उपचार व सामान्य उपाय है।

***इस में मौजूद एनोलाइड्स (anolides) लिवर स्काररिंग (क्षतिग्रस्त हिस्सा)में कमी के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा, रसभरी अति प्रभावशाली गुर्दे के स्वास्थ्य के साथ जुड़ी हुई है, जो पेशाब को उत्तेजित करके विषाक्त पदार्थों को खत्म करने और लिम्फेटिक प्रणाली (लिम्फेटिक सिस्टम हमारे शरीर का ड्रेनेज सिस्टम है जो दूषित रक्त मृत या अस्वस्थ या कैंसर कोशिकाओं तथा हानिकारक सूक्ष्म जीवों कणों को शरीर से बाहर करता है ! )से अतिरिक्त वसा, नमक और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है जिससे लिम्फेटिक सिस्टम स्वस्थ शुद्ध रहता है और अनेक असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है 
हम एनोलाइड्स (anolides) के बारे में अधिक नहीं सुनते हैं क्योंकि ये काफी दुर्लभ होते हैं जो कुछ ही फल सब्जियों में पाया जाता है। लेकिन एनोलाइड्स रसभरी में पाए जाते हैं। ये अनूठे आर्गेनिक यौगिक, शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और सूजन को कम करने वाले एजेंट पाए जाते हैं जो एपोपोटिकिस या स्वत: कोशिका मृत्यु को प्रेरित कर सकते हैं और पूरे शरीर में कैंसर की कोशिकाओं के प्रसार को धीमा या रिवर्स कर सकते हैं।**
भंभोल में मौजूद विटामिन सी का महत्वपूर्ण स्तर (दैनिक मात्रा का लगभग 15%) पाया जाता है। जो इसे प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण फल बनाता है। विटामिन सी (एस्कॉर्बिक एसिड) सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को उत्तेजित करता है और इसमें कुछ एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं। इसके अलावा, यह कोलेजन के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण घटक है, जो कोशिकाओं, ऊतकों, अंगों और रक्त वाहिकाओं की रिपेयर और उत्पादन में मदद करता है।

डॉ० जयवीर सिंह 
अवधूत आयुर्विज्ञान संस्थान पिंडारा फ्लाईओवर गोहाना रोड नजदीक राजमहल पैलेस 
जींद हरियाणा 
9350272972

पारिजात वृक्ष

पारिजात वृक्ष - सबसे अप्रत्याशित स्थानों में एक दुर्लभ वृक्ष है। इसको छूने का हक सिर्फ #उर्वशी को था,,,

समुद्र मंथन के समय निकले बहुमूल्य रत्नों में एक ये वृक्ष भी था,, #पारिजात नाम है इसका,,इसे ही #कल्पवृक्ष भी कहा गया है,, 

⚜️ पूरी रात सुगंधी बिखेरता पारिजात,भोर होते ही अपने सभी फूल पृथ्वी पर बिखेर देता है!अलौकिक सुगंध से सराबोर इसका पुष्प केवल मन को ही प्रसन्न नहीं करता,अपितु तन को भी शक्ति देता है ! एक कप गर्म पानी में इसका फूल डालकर पियें,अद्भूत ताजगी मिलेगी.... 

⚜️यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है.... 

⚜️इंद्र के बगीचे में स्थित इस वृक्ष को सिर्फ उर्वशी को छूने का अधिकार था,,, इसके नीचे बैठने, या छूने मात्र से थकान दूर हो जाती है और नई ऊर्जा का संचार होता है। स्वर्ग में इसको छूने से देव नर्तकी उर्वषी की थकान मिट जाती थी,पारिजात नाम के इस वृक्ष के फूलों को देव मुनि नारद ने श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा को दिया था,इन अदभूत फूलों को पाकर सत्यभामा भगवान श्री कृष्ण से जिद कर बैठी कि पारिजात वृक्ष को स्वर्ग से लाकर उनकी वाटिका में रोपित किया जाए! 

⚜️सत्यभामा की जिद पूरी करने के लिए जब श्री कृष्ण ने पारिजात वृक्ष लाने के लिए नारद मुनि को स्वर्ग लोक भेजा तो इन्द्र ने श्री कृष्ण के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और पारिजात देने से मना कर दिया,जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने गरूड पर सवार होकर स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया और परिजात को प्राप्त कर लिया,श्री कृष्ण ने यह पारिजात लाकर सत्यभामा की वाटिका में रोपित कर दिया! 

⚜️भगवान श्री कृष्ण ने पारिजात को लगाया तो था सत्यभामा की वाटिका में,परन्तु उसके फूल उनकी दूसरी पत्नी रूकमणी की वाटिका में गिरते थे,एक मान्यता के अनुसार परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुन्द्र मंथन से हुई थी, जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में रोप दिया था! 

⚜️यह वृक्ष एक हजार से पांच हजार वर्ष तक जीवित रह सकता है,पारिजात वृक्ष के वे ही फूल उपयोग में लाए जाते है,जो वृक्ष से टूटकर गिर जाते है,यानि वृक्ष से फूल तोड़ने की पूरी तरह मनाही है! 

⚜️यह वृक्ष आसपास लगा हो खुशबू तो प्रदान करता ही है,साथ ही नकारात्मक उर्जा को भी भगाता है,इस उपयोगी वृक्ष को अवश्य ही घर के आसपास लगाना चाहिए!!!

पारिजात एक पुष्प देने वाला वृक्ष है, इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है...... पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं....इसकी सबसे बड़ी पहचान है सफ़ेद फूल और केसरिया डंडी होती है... इसके फूल रात में खिलते है और सुबह सब झड जाते है ...।
पारिजात अत्यंत लाभकारी ओषधि हैं.... जो अनेक रोगों को दूर करने में सहायक है...।
#साइटिका का सफल इलाज...
एक पैर मे पंजे से लेकर कमर तक दर्द होना साइटिका या रिंगण बाय कहलाता है....प्रायः पैर के पंजे से लेकर कूल्हे तक दर्द होता है जो लगातार होता रहता है... मुख्य लक्षण यह है कि दर्द केवल एक पैर मे होता है.... दर्द इतना अधिक होता है कि रोगी सो भी नहीं पाता...... हारसिंगार के 10-15 कोमल पत्ते को कटे फटे न हों तोड़ लाएँ...... पत्ते को धो कर थोड़ा सा कूट ले या पीस ले.....बहुत अधिक बारीक पीसने कि जरूरत नहीं है। लगभग 200-300 ग्राम पानी (2 कप) मे धीमी आंच पर उबालें.....तेज आग पर मत पकाए....चाय की तरह पकाए,चाय कि तरह छान कर गरम गरम पानी (काढ़ा) पी ले... पहली बार मे ही 10% फायदा होगा.... प्रतिदिन 2 बार पिए ... इस हरसिंगार के पत्तों के काढ़े से 15 मिनट पहले और 1 घंटा बाद तक ठंडा पानी न पीए,दही लस्सी और आचार न खाएं.

अब यह वृक्ष धरती पर है  इस पेड़ के #बीज बनते हैं,, और इसको #कलम विधि के द्वारा पैदा किया जा सकता है।

रात को इसके फूल खिलते हैं,,और गंध इतनी दिव्य है कि इस लोक की लगती ही नहीं है,,, ईश्वर के आशीर्वाद अद्भुत और विचित्र हैं,,

घूमने के दौरान मैं एक होटल में पहुँचा

घूमने के दौरान मैं एक होटल में पहुँचा,
मैने 2,500 रुपये होटल के काउंटर पर रखते हुए कहा – यह पैसा आप रख लीजिए, मैं पहले कमरा देखकर आता हूँ।

पैसा मिलते ही होटल का मालिक दौड़कर घी वाले की दुकान पर गया और उसे देने वाले 2,500 रुपये चुका कर हिसाब बराबर कर दिया।

घीवाला दौड़कर दूधवाले के पास गया और उसे देने वाले 2,500 रुपये चुका कर हिसाब बराबर कर दिया।

दूधवाला दौड़कर गायवाले के पास गया और उसे देने वाले 2,500 रुपये चुका कर हिसाब बराबर कर दिया।

गायवाला दौड़कर दानावाले (चारा बेचने वाले) के पास गया और हिसाब में से 2,500 रुपये घटा लाया।

अंत में, दानावाला उसी होटल में पहुँचा, जहाँ से वह ज़रूरत पड़ने पर उधार लिया करता था।
उसने होटल मालिक को 2,500 रुपये देकर अपना हिसाब बराबर कर दिया।

तभी मैं कमरा देखकर लौटा और कहा – मुझे कमरा पसंद नहीं आया।
इतना कहकर मैंने अपनी जमा की हुई 2,500 रुपये की रकम वापस ले ली और चला आया।

देखिए, इतनी दौड़-धूप में न किसी ने कुछ पाया, न किसी ने कुछ खोया, लेकिन सबका हिसाब बराबर हो गया।
यहाँ कहाँ गड़बड़ी हुई❓
कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई, लेकिन यहाँ सबको यह भ्रम था कि रुपये हमारे हैं।
असलियत यह है कि हमें यह समझना ज़रूरी है – हम सब खाली हाथ आए हैं और खाली हाथ ही जाना है❗️