20-30 फल रोज कोई भी खा सकता है पत्ते तना जड़ चिकित्सक की देखरेख में ही प्रयोग करना है
***ये रसभरी नहीं पर उसी परिवार का सदस्य है***
हरियाणा में भ़ंभोला मेरा सर्वप्रिय वन फल गजब औषध
वन ग्राऊंडचेरी वानस्पतिक नाम : physalis angulata
एक छोटा सा पौधा है। इसके फलों के ऊपर एक पतला सा आवरण होता है। कहीं-कहीं इसे 'मकोय' भी कहा जाता है परंतु मकोय अलग होता है ! छत्तीसगढ़ में इसे 'चिरपोटी' बिहार मे इसे बमभुटका व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पटपोटनी भी कहते हैं। राजस्थान मे इसे सिरपोटी करते है | इसके फलों को खाया जाता है।
वन भंभोला औषधीय गुणो से परिपूर्ण है।
ग्राउंड चेरी यानि भंभोला का फल और पंचांग (फल, फूल, पत्ती, तना, मूल) उदर रोगों (और मुख्यतः यकृत) के लिए लाभकारी है। इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से पाचन अच्छा होता है साथ ही भूख भी बढ़ती है। यह लीवर को उत्तेजित कर पित्त निकालता है। इसकी पत्तियों का काढ़ा शरीर के भीतर की सूजन को दूर करता है। सूजन के ऊपर इसका पेस्ट लगाने से सूजन दूर होती है। ग्राउंड चेरी की पत्तियों में कैल्सियम, फास्फोरस, लोहा, विटामिन-ए, विटामिन-सी पाये जाते हैं। बवासीर में इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से लाभ होता है। संधिवात में पत्तियों का लेप तथा पत्तियों के रस का काढ़ा पीने से लाभ होता है। खांसी, हिचकी, श्वांस रोग में इसके फल का चूर्ण लाभकारी है। बाजार में अर्क-रसभरी मिलता है जो पेट के लिए उपयोगी है। सफेद दाग में पत्तियों का लेप लाभकारी है।
इसमें विटामिन-सी, विटामिन-ए और आयरन से भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इस फल के सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। इसके अलावा यह आंखों के लिए भी काफी फायदेमंद है। इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है। जिससे आप मोतियाबिंद आदि समस्याओं से बच सकते हैं।
इसके फल में हैपॉलीफेनोल्स और कैरोटीनॉयड जैसे फाइटो केमिकल्स मौजूद होते हैं। जो हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंद है। यह हाई बीपी के स्तर को कंट्रोल करने में मददगार है। इसके अलावा इसमे घुलनशील पेक्टिन फाइबर पाया जाता है, जो बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इससे दिल से जुड़ी बीमारियां कम होती हैं।
इस फल में कैल्शियम और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में होता है। जो हड्डियों को स्वस्थ रखते हैं। इसमें मौजूद पेक्टिन कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण में मदद करता है। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं ।
ग्राऊंडचेरी के भीतर पाए जाने वाले कुछ यौगिक कार्बोहाइड्रेट से सरल शर्करा के टूटने और सेवन को धीमा कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि शरीर और खून की मात्रा चीनी के साथ अधिक नहीं बढ़ी है और इंसुलिन रिसेप्टर्स ठीक से नियंत्रित रहते हैं। अत्यधिक रक्त शर्करा का उतार-चढ़ाव शुगर की बीमारी (मधुमेह) का मुख्य कारण है। जिसका अर्थ है कि रसभरी टाइप 2 मधुमेह के लिए बहुत ही अच्छा उपचार व सामान्य उपाय है।
***इस में मौजूद एनोलाइड्स (anolides) लिवर स्काररिंग (क्षतिग्रस्त हिस्सा)में कमी के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा, रसभरी अति प्रभावशाली गुर्दे के स्वास्थ्य के साथ जुड़ी हुई है, जो पेशाब को उत्तेजित करके विषाक्त पदार्थों को खत्म करने और लिम्फेटिक प्रणाली (लिम्फेटिक सिस्टम हमारे शरीर का ड्रेनेज सिस्टम है जो दूषित रक्त मृत या अस्वस्थ या कैंसर कोशिकाओं तथा हानिकारक सूक्ष्म जीवों कणों को शरीर से बाहर करता है ! )से अतिरिक्त वसा, नमक और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है जिससे लिम्फेटिक सिस्टम स्वस्थ शुद्ध रहता है और अनेक असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है
हम एनोलाइड्स (anolides) के बारे में अधिक नहीं सुनते हैं क्योंकि ये काफी दुर्लभ होते हैं जो कुछ ही फल सब्जियों में पाया जाता है। लेकिन एनोलाइड्स रसभरी में पाए जाते हैं। ये अनूठे आर्गेनिक यौगिक, शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और सूजन को कम करने वाले एजेंट पाए जाते हैं जो एपोपोटिकिस या स्वत: कोशिका मृत्यु को प्रेरित कर सकते हैं और पूरे शरीर में कैंसर की कोशिकाओं के प्रसार को धीमा या रिवर्स कर सकते हैं।**
भंभोल में मौजूद विटामिन सी का महत्वपूर्ण स्तर (दैनिक मात्रा का लगभग 15%) पाया जाता है। जो इसे प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण फल बनाता है। विटामिन सी (एस्कॉर्बिक एसिड) सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को उत्तेजित करता है और इसमें कुछ एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं। इसके अलावा, यह कोलेजन के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण घटक है, जो कोशिकाओं, ऊतकों, अंगों और रक्त वाहिकाओं की रिपेयर और उत्पादन में मदद करता है।
डॉ० जयवीर सिंह
अवधूत आयुर्विज्ञान संस्थान पिंडारा फ्लाईओवर गोहाना रोड नजदीक राजमहल पैलेस
जींद हरियाणा