विश्वाश ध्यान और शब्द

विश्वाश ध्यान और
            शब्द
इस विश्वास के साथ ध्यान करो कि इसी शबद के ध्यान करने से मुक्ती प्राप्त होगी। उस शबद की परख साध संगत से ही मिलेगी। सत के बराबर कोई भी दूसरा नहीं है,  हमारी आत्मा का सम्बन्ध सच्चे शबद से है, कच्चे शरीर से नहीं है,  जो प्राणी सत से बेमुख हैं, यानी जिन्हे सत शबद की परख नहीं आयी है, वे चौरासी लाख योनियों के आवागमन मे भटकते रहेंगे। जो प्राणी सत शबद की परख कर लेंगे वे प्राणी चौरासी लाख योनियों के आवागमन मे नहीं भटकेंगे। गुरुजी की सीख मान लो, तो मुक्ति प्राप्त हो जाएगी। गाफिली से बाहर निकलो और मान बड़ाई और अभिमान का त्याग कर दो।