तिल के अंदर तेल होता है, और आग के अंदर रौशनी होती है

*ज्यों* *तिल* *माहि* *तेल* *है* , *ज्यों* *चकमक* *में* *आग* ।

 *तेरा* *साईं* *तुझ* *ही* *में* *है* , *जाग* *सके* *तो* *जाग* ।

 *अर्थ* *सहित* *व्याख्याः* कबीर दास जी कहते हैं जैसे तिल के अंदर तेल होता है, और आग के अंदर रौशनी होती है ठीक वैसे ही हमारा ईश्वर हमारे अंदर ही विद्धमान है, अगर ढूंढ सको तो ढूढ लो।

 *जहाँ* *दया* *तहा* *धर्म* *है* , *जहाँ* *लोभ* *वहां* *पाप* ।

 *जहाँ* *क्रोध* *तहा* *काल* *है* , *जहाँ* *क्षमा* *वहां* *आप* ।

 *अर्थ* *सहित* *व्याख्याः* कबीर दास जी कहते हैं कि जहाँ दया है वहीं धर्म है और जहाँ लोभ है वहां पाप है, और जहाँ क्रोध है वहां सर्वनाश है और जहाँ क्षमा है वहाँ ईश्वर का वास होता है।

 *सत* *अवगत* *सतनाम*

इस तरह की दवाइयां

इस तरह की दवाइयां..
 ....दुनिया के किसी भी मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध नहीं है और भविष्य में भी नहीं मिलेगी, 
अगर आप इन दवाओं को ध्यान से पढ़ें और समझें और इन्हें अपने जीवन में लागू करें,
 तो आपको *जीवन भर कोई गोली लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।* 💫 1. जल्दी सोना और जल्दी उठना दवा है।
2. Omkar jap  दवा है।
3. योग प्राणायाम और व्यायाम दवा है।
4. सुबह-शाम टहलना भी दवा है।
5. उपवास सभी बीमारियों की दवा है।
6. सूर्य का प्रकाश भी दवा है।
7. Matka पानी पीना भी दवा है।
8. ताली बजाना भी दवा है।
9. खूब चबाना भी दवा है।
10. भोजन की तरह चबाकर पानी पीना भी दवा है।
11. After meal वज्रासन में बैठना दवा है।
12. खुश रहने का निर्णय भी दवा है।
13. कभी-कभी मौन भी दवा है।
 14. हंसी-मजाक दवा है।

15. संतोष भी दवा है।

16. मन और शरीर की शांति दवा है।

17. मन में सकारात्मकता दवा है।

18. निस्वार्थ प्रेम, भावना भी दवा है।

19. सबका भला करना भी दवा है।

20. ऐसा कुछ करना जिससे किसी की दुआ मिले, वह दवा है।

21. सबके साथ मिलजुल कर रहना दवा है।

22. परिवार के साथ खाना-पीना और घुलना-मिलना भी दवा है।

23. आपका हर सच्चा और अच्छा दोस्त भी बिना पैसे के पूरा मेडिकल स्टोर है।

24. मस्त रहें, व्यस्त रहें, स्वस्थ रहें और खुशमिजाज रहें, यह भी दवा है।

25. हर नए दिन का भरपूर आनंद लेना भी दवा है।

26. *और अंत में...🌱* किसी को प्रसादी के रूप में यह संदेश भेजकर अच्छा काम करने का सुख भी दवा है।
 
☝🏻 इस प्रकृति की *"महानता"* को समझना भी एक औषधि है।

🫠
 *आश्चर्य की बात तो यह है कि ये सभी औषधियाँ बिल्कुल निःशुल्क उपलब्ध हैं और इन सबको कैसे और कहाँ से प्राप्त किया जाए, यह सोचने के बाद उन पर अमल करना भी एक औषधि के समान है...!!!* 🍃प्रकृति पर विश्वास रखें।🍀 ☘️☘️
 ...प्रकृति सबसे अच्छी उपचारक है।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹

यदि निंदक अड़सठ तीर्थों में शरीर को मल-मलकर स्नान करे

1*कबीर* *बीजक* 

 *अड़सठ* *तीरथ* *निन्दक* *न्हाई* , *देह* *पलोसे* *मैल* *न* *जाई* । *छप्पन* *कोटि* *धरती* *फिरि* *आवै* , *तो* *भी* *निन्दक* *नरकहिं* *जावे* ।।

यदि निंदक अड़सठ तीर्थों में शरीर को मल-मलकर स्नान करे, तो भी उसके मन का मैल नहीं जा सकता। पृथ्वी की चाहे वह छप्पन करोड़ बार परिक्रमा कर आए, तो भी पराए की निंदा करने वाला नरक में ही स्थान प्राप्त करेगा।

हाल ही की,पांच बुरी ख़बरें

हाल ही की,पांच बुरी ख़बरें  देखकर, आज की परिस्थितीयो मे, सभी ढलती उम्र के व्यक्तियों को अपने जीवन पर विचार करना ही चाहिये। 🧐🧐

{1} 12000 करोड़ की रेमण्ड कम्पनी का मालिक, आज बेटे की बेरुखी के कारण किराये के घर में रह रहा है।

{2} एक अरबपति महिला, मुम्बई के पॉश इलाके के अपने करोड़ो के फ्लैट में, पूरी तरह गल कर कंकाल बन गयी! विदेश में बहुत बड़ी नौकरी करने वाले, करोड़पति बेटे को पता ही नहीं? माँ कब मर गयी।

(3) राकेश झुनझुनवाला, 43 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति छोड़कर,असमय चला गया क्योंकि 24 घण्टे में 20 घण्टे कुर्सी पर बैठ कर काम करता था।

(4) सायरस मिस्त्री,90 हज़ार करोड़ की संपत्ति छोड़ गया।
हवा में उड़ता था, कार एक्सीडेंट में गुज़र गया।

{5} सपने सच कर आई. ए. एस. का पद पाये, बक्सर के क्लेक्टर ने तनाव के कारण आत्महत्या की।

ये पांच घटनायें बताती हैं, जीवन में पद पैसा प्रतिष्ठा, ये सब कुछ काम का नहीं। यदि आपके जीवन में खुशी संतुष्टी और अपने नहीं हैं तो कुछ भी मायने नहीं रखता।

वरना एक क्लेक्टर को क्या जरुरत थी ? जो उसे आत्महत्या करना पड़ी।

खुशियाँ, पैसो से नहीं मिलती अपनों से मिलती है।

क्योकि ? सीता जी, जब श्री राम के
पास थी, तो उसे सोने का
हिरण चाहिए था, मगर वही सीता जी, जब सोने की 
लंका मे  गयी  तो,
उन्हे श्री राम  ही चाहिए थे।

इसलिए पैसा तो होता है,
पर, जीवन में, सब कुछ नही होता।

पैसा बहुत कुछ है, लेकिन सब कुछ नही है।

जीवन आनन्द के लिए है, चाहे जो हो, बस मुस्कुराते रहो...?_

यदि आप चिंतित हो, तो खुद को थोड़ा आराम दो l

हो सके तो ज़रूरत मंदो की सहायता करो।

ये अंग्रेजी वर्ण, हमें सिखाते हैं :-
 
A B C....?
Avoid Boring Company. 

मायूस संगत से, दूरी​ बनाए रखना।

_D E F...?_
Dont Entertain Fools.

मूर्खो पर, समय व्यर्थ मत करो।

_G H I...?_
Go For High Ideas​.

ऊँचे विचार रखो​।

_J K L M...?_
Just Keep A Friend Like Me​.

*मेरे जैसा, मित्र रखो।*

_N O P...?_
Never Overlook The Poor n Suffering.

गरीब व पीड़ित को ,कभी भी, अनदेखा मत करो!

_Q R S...?_
Quit Reacting To Silly Tales​_

*​मूर्खो को , भूलकर भी प्रतिक्रिया मत दो​_!*

_T U V...?_
Tune Urself For Ur Victory.

खुद की जीत, सुनिश्चित करो!

_W X Y Z...?_
We Xpect You To Zoom Ahead In Life​

इसलिये,​हम आपसे, जीवन में, आगे देखने की, आशा करते हैं।

यदि आपने चाँद को देखा, तो आपने ,ईश्वर की सुन्दरता देखी!

यदि आपने सूर्य को देखा, तो आपने ,ईश्वर का बल देखा!

और यदि आपने आईना देखा, तो आपने ईश्वर की, सबसे सुंदर रचना देखी!

इसलिए, स्वयं पर विश्वास रखो.

जीवन में हमारा उद्देश्य होना चाहिए :-

​9, 8, 7, 6, 5, 4, 3, 2, 1, 0​

_9 - गिलास पानी_
_8 - घण्टे नींद_
_7 - यात्रायें परिवार के साथ_
_6 - अंकों की आय_
_5 - माता-पिता, भाई-बहन, जीवन साथी और संतान
_4 - चक्का वाहन_
_3 - बेडरूम वाला फ्लैट_
 2 -  दिन हफ्ते में आराम_
 1 - ईष्ट 
_0 - चिन्ता...?_


दिल को छुए तो  सभी को भेजे 🚩🚩👍🤝

व्यक्ति की वेशभूषा से उसका मूल्यांकन न करें।

🙏💐निर्मल सुप्रभात ।💐🙏

*व्यक्ति की वेशभूषा से उसका मूल्यांकन न करें।* 

एक बार की बात है, किसी गाँव में एक पंडित रहता था। वैसे तो पंडित जी को वेदों और शास्त्रों का बहुत ज्ञान था, लेकिन वह बहुत ग़रीब था। ना ही रहने के लिए अच्छा घर था और ना ही अच्छे कपड़ों व भोजन के लिए पैसे। 
एक छोटी सी झोंपड़ी थी, उसी में रहता था और भिक्षा माँगकर जो मिल जाता उसी से अपना जीवन यापन करता था। 
एक बार वह पास के किसी गाँव में भिक्षा माँगने गया, उस समय उनके कपड़े बहुत गंदे थे और काफ़ी जगह से फटे हुए भी थे। 
जब उन्होने एक घर का दरवाजा खटखटाया तो सामने से एक व्यक्ति बाहर आया, उसने जब पंडित को फटे हुए कपड़ों में देखा तो उसका मन घृणा से भर गया और उसने पंडित को धक्के मारकर घर से निकाल दिया। बोला- पता नहीं कहाँ से गंदा पागल चला आया है। पंडित दुखी मन से वापस चला आया। जब अपने घर वापस लौट रहा था तो किसी अमीर आदमी की नज़र पंडित के फटे कपड़ों पर पड़ी तो उसने दया दिखाई और पंडित को पहनने के लिए नये कपड़े दे दिए। 
अगले दिन पंडित फिर से उसी गाँव में उसी व्यक्ति के पास भिक्षा माँगने गया। व्यक्ति ने नये कपड़ों में पंडित को देखा और हाथ जोड़कर पंडित को अंदर बुलाया और बड़े आदर के साथ थाली में बहुत सारे व्यंजन खाने को दिए। पंडित जी ने भोजन का एक भी टुकड़ा अपने मुँह में नहीं डाला, और सारा खाना धीरे धीरे अपने कपड़ों पर डालने लगा और बोला- ले खा और खा! 
व्यक्ति ये सब बड़े आश्चर्य से देख रहा था। आख़िर उसने पूछ ही लिया, "पंडित जी आप यह क्या कर रहे हैं? सारा खाना अपने कपड़ों पर क्यूँ डाल रहे हैं?" 
पंडित जी ने बहुत शानदार उत्तर दिया, "क्योंकी तुमने ये खाना मुझे नहीं बल्कि इन कपड़ों को दिया है, इसीलिए मैं ये खाना इन कपड़ों को ही खिला रहा हूँ। कल जब मैं गंदे कपड़ों में तुम्हारे घर आया तो तुमने मुझे धक्के मारकर घर से निकाल दिया, और आज तुमने मुझे साफ और नये कपड़ों में देखकर अच्छा खाना दिया। असल में तुमने ये खाना मुझे नहीं, इन कपड़ों को दिया है। वह व्यक्ति यह सुनकर बहुत दुखी हुआ। 

मित्रो, किसी व्यक्ति की महानता उसके चरित्र और ज्ञान पर निर्भर करती है, पहनावे पर नहीं। अच्छे कपड़े और गहने पहनने से इंसान महान नहीं बनता। महान बनने के लिए अच्छे कर्मों की ज़रूरत होती है। अतः केवल पहनावे से ही किसी का मूल्यांकन न करें। 

*सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया।* 

🌷आपका दिन आनंदमय हो।🌷