क्या हमने भंडारे में जाने से पहिले क्या कोई लक्ष्य निर्धारण किया
भंडारा प्रेम,मेल के लिए होता है, मालिक विराजमान होते है, हम क्या भाव बनाकर जा रहे क्या कोई विचार किया __
भाई भंडारे में जाने से पहिले मन में यह बात धारण कर ले मन में किसी के लिए बैर भाव है सब यही छोड़कर जाए वहां सब मालिक के प्राणियों के साथ प्रेम रखे तभी वहां कुछ प्राप्ति होगी!!
यहां से निकलने से पहिले अपने अंदर टटोले की हमारे अंदर क्या कमियां है वहां मालिक के दरबार में सच्चे मन से रखे अगर चाहना तीव्र होगी तो सारी कमियां दूर होंगी हमारे मालिक बहुत दयालु है!!
मालिक से मांग करे सभी प्राणी भंडारे में अपना गुस्सा अहम छोड़कर नम्रता से भंडारे में शामिल हो
और मन में कुछ ऐसा विचार लेकर जाए कि हम वहां से खाली हाथ वापस नहीं आएंगे कुछ प्राप्ति की चाहना लेकर जाए जो मालिक से मिलने में सहायक हो पूर्ण होगी
मन में विचार आया संगत में रखा कोई गलती हो संगत सुधार करे संगत का बालक हु!!
*भंडारे* *में* *पहुंचा* *जाई* *सबसे* *मिले* *प्रीत* *अधिकाई*
*सत* *अवगत* *सतनाम*