इसका ज्ञान नहीं तब तक मुक्ती का रास्ता नहीं मिलेगा !!
सतनाम यानि हमारे मालिक , उनका स्वरुप शब्द, उस शब्द की परख के बिना कोई प्राणी भवसागर से पार नहीं हो सकता !!
यह जीव उसी शब्द का छोटा सा अंग है !!
मालिक के सच्चे स्वरुप का ज्ञान का अनुभव ही सच्चे शब्द की परख है, शब्द की परख होते ही संसार की सारी बाधाएं दूर हो जाती है, संसार की लोकलाज त्याग कर के ही हम इस संसार से मुक्ती पा सकते है!!
सत अवगत सतनाम