ध्यान से कुछ आकांक्षा मत रखना-आनंद की, शांति की, अनुभव की, कोई आकांक्षा मत रखना; तुम सिर्फ ध्यान करना।
परिणाम में बहुत कुछ घटता है, लेकिन तुम फलाकांक्षी मत होना। परिणाम में अपने से घटता है, तुम्हारी फलाकांक्षा की कोई जरूरत नहीं है।
तुम्हारी फलाकांक्षा बाधा बन जाएगी। क्योंकि जो व्यक्ति शांति पाने के लिए ध्यान कर रहा है, वह ध्यान कर ही नहीं पाता। वह पूरे वक्त नजर लगाए। हुए है कि शांति कब मिले। यही अशांति हो जाती है। छोड़ो फिक्र यह। तुम ध्यान करो, तुम फल पर नजर मत रखो। शाति आती है ध्यान के पीछे अपने आप। तुम्हें उसकी खबर रखने की जरूरत नहीं।
*सत* *अवगत* *सतनाम*