शबद हमारा हम शबद के शबद सत का रूप ।
" अवगत आपके बोल को सन्तो ने शबद कहा है।
अवगत आप का बोल किसी भी भाषा यानी अक्षरों में नहीं है, उसे निरवान ग्यान में नाद' कहा है, नाद के माने एक अगम आवाज, एक अगम धुन, जिससे सम्पूर्ण सृष्टि की रचना हुई।
*सत* *अवगत* *सतनाम*